निर्भयाकांड ! तीन गुनहगारों की मिलेगी मौत की सजा

बलिया(उत्तर प्रदेश),09 जुलाई 2018। देश के लोगों के रोंगटे खड़े करनेवाले ‘निर्भया‘ कांड के तीन अपराधियों के मौत की सजा उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के आदेश से भुक्तभोगी परिवार व उनके पैतृक गांव के लोगों ने संतोष व्यक्त किया है। जिले के नरही थाना क्षेत्र के दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता के पैतृक गांव मेड़वार कलां में आज अपराह्न जैसे ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की जानकारी मिली, कांड के भुक्तभोगी परिवार और गांववासियों ने खुशी का इजहार किया। निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने कहा कि अगर अब तक दरिंदों को फांसी मिल गयी होती तो आये दिन सामने आ रही हैवानियत की घटनाओं पर सम्भवतः रोक लग गयी होती। निर्भया की मां ने कहा कि न्याय हेतु उनका परिवार लगभग छह वर्ष से संघर्ष कर रहा है। उन्हें खुशी है कि दरिंदों को अब उनके किये गए गुनाह की सजा अवश्य मिलेगी। उन्हें न्यायालय के आज के फैसले से तसल्ली हुई है लेकिन एक नाबालिग दरिंदा कानून का लाभ उठाकर फांसी की सजा से बच गया, इसका दुःख भी है। निर्भया के पिता ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि उच्चतम न्यायालय से दरिंदों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
ज्ञातव्य है कि उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार काण्ड और हत्या के मामले में फांसी के फंदे से बचने का प्रयास कर रहे तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें आज खारिज कर दीं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दोषी मुकेश, पवन गुप्ता और विनय कुमार की याचिकायें खारिज करते हुये कहा कि पांच मई, 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिये कोई आधार नहीं है। इस सनसनीखेज अपराध में चौथे मुजरिम अक्षय कुमार सिंह ने मौत की सजा के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर नहीं की थी। राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुये इस अपराध के लिये निचली अदालत ने 12 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी एक किशोर था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्यु दण्ड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी। इसके बाद, दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थीं जिन पर न्यायालय ने पांच मई, 2017 को फैसला सुनाया था। साभार – एएनएस

Visits: 41

Leave a Reply