सामाजिक समरसता के लिए सामंजस्य आवश्यक – महामंडलेश्वर भवानी नन्दन यति

नैतिक पतन से बचने हेतु रामचरित मानस अनुकरणीय 


गाजीपुर। जिस प्रकार देश के बड़े मंदिरों और मठों पर सरकार का नियंत्रण है वैसे ही वक्‍फ की संपत्तियों व मस्जिदों पर भी सरकार का अधिकार होना चाहिए। मंदिर, मठो, मस्जिद व गिरजाघरों आदि पूजा स्‍थल के चल-अचल संपत्तियों की रक्षा के लिए सरकार की शक्तियां जरुरी हैं।

      उक्त वक्तव्य सिद्धपीठ हथियाराम पीठ के पीठाधीश्वर एवं जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज ने मनिहारी क्षेत्र के हरिहरपुर में स्थित प्राचीन मां काली मंदिर में उपस्थित पत्रकारों के प्रश्नों के  जबाब में व्यक्त किया।

     बताते चलें कि बासंतिक नवरात्र में सिद्धपीठ हथियाराम पीठ के पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज के संरक्षकत्व में वाराणसी से आए विद्वान वैदिक ब्राम्हणों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान  व चंडी पाठ सतत जारी है। बुधवार को महाराज श्री ने उपस्थित पत्रकारों के प्रश्नों का बेबाकी से जबाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और अनेकों धर्म के अनुयाई  यहां मिलजुल कर रहते हैं। सभी के लिए एकरुपता आवश्यक है। वर्तमान समय में समाज और परिवार में पनप रहे वैमनस्य के उत्तर में उन्होंने कहा कि ऐसे में रामचरित मानस और श्रीराम आज भी प्रासंगिक हैं। नैतिक पतन से बचने और सत्मार्ग पर चलने के लिए रामचरित मानस से सीख लेनी होगी। श्रीराम ने समाज के हर वर्गों को साथ लेकर असत्य पर विजय प्राप्‍त की थी। श्रीराम ने अपने आचरण में पुत्र, भाई, पति और पिता का जो अहम भूमिका बताई है यह आज के समाज के लिए अनुकरणीय है। सिद्धपीठ हथियाराम में संघ प्रमुख मोहन भागवत के आगमन की चर्चा पर उन्होंने कहा कि मठ की अधिष्ठात्री देवी बुढिया माई के प्रति  उनकी आगाध श्रद्धा और भक्ति है। संघ प्रमुख मोहन भागवत एक अलौकिक पुरुष हैं जिन्‍होने देश की एकता और अखंडता के लिए हर संभव प्रयास किया है। 

        नवरात्र में माता रानी के पूजन पर चर्चा करते हुए महाराज श्री ने कहा कि सात्विक आहार विचार से नवरात्र में माता रानी के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन किया जाता है। इससे शरीर में संचरित आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और शरीर  शुद्धता से सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। किस लिए हमें पवित्र मन से नवरात्र का पूजन अवश्य करना चाहिए।

    इससे पूर्व जिले डिलियां निवासी तथा चौदह अगस्त 2013 को मुम्बई में नेवी के सिन्धुरक्षक पनडुब्बी के ब्लास्ट के बाद जीवित बचे यश अजय सिंह को अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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