विश्व भाषा बनने की तरफ अग्रसर है हिन्दी

गाज़ीपुर। विश्व में हिंदी अपने उत्तरोत्तर विकास की दिशा में अग्रसर है। हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने के सारे गुण मौजूद हैं। आज विश्व के करीब 132 देशों में हिंदी बोली, लिखी और समझी जाती है तो वहीं करीब 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई की जाती है।


     उक्त वक्तव्य मुख्य अतिथि डा ए के राय प्रवक्ता अखिल भारतीय हिन्दी महासभा काशी प्रान्त ने स्नातकोत्तर महाविद्यालय मलिकपुरा में महाविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति न्यास, काशी प्रान्त के संयुक्त तत्वाधान में हिन्दी पखवारा के अवसर पर भारतीय भाषा मंच, काशी प्रांत द्वारा शनिवार को आयोजित “विश्व में हिन्दी एवं हिन्दी का विश्व’ विषयक संगोष्ठी में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी सचिवालय की स्थापना की जा चुकी है और साप्ताहिक बुलेटिन भी हिंदी भाषा में प्रसारित की जाती है। भारत में हिन्दी की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्तमान समय में विश्व स्तर पर हिन्दी की गरिमामयी स्थिति एवं उपलब्धियों को तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया।  इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया गया।

     गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डा. दिनेश कुमार सिंह ने हिन्दी भाषा के आरम्भ से लेकर वर्तमान हिन्दी तक की चर्चा करते हुए भारत के विश्वगुरु बनने के लक्ष्य को हासिल करने में हिन्दी भाषा की समन्वयकारी उपयोगिता पर जोर दिया। 

      विशिष्ठ अतिथि खरडीहा महविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रवक्ता डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह ने स्वातत्रोत्तर काल से लेकर अब तक के हिन्दी के विकास एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी को स्थापित करने पर बल दिया। प्रवक्ता श्री अनुज कुमार सिंह ने हिन्दी के मानकीकरण पर प्रकाश डालते हुए आभारतीय हिन्दी साहित्यकारों एवं दक्षिण भारतीय भाषा के साहित्यकारों के समन्वित प्रयास से हिन्दी को राजभाषा से उपर उठाकर राष्ट्रभाषा एवं अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता बताई।

       महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह के संरक्षकत्व में कार्यक्रम के संयोजक भारतीय भाषा मंच, काशी प्रान्त के सह संयोजक डॉ. सर्वेश पाण्डेय ने मंच का संचालन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति के जिला सह सचिव चंदन प्रजापति, प्रिंस काशौधन, अभिषेक सिंह,  सुघर सिंह राजपूत, श्रीमती अंजली यादव, श्रीमती कुंजलता, दीपक कुमार यादव, वासुदेवन मणि त्रिपाठी, शमशुल कमर, शैलेंद्र प्रताप सिंह  सहित सभी शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ प्राध्यापक भूगोल  विभाग के अभिषेक कुमार ने किया।

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