धरती पर कर्म ही हमारी सार्थकता सिद्ध करता है: महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति

गाजीपुर। ब्रह्माण्ड में जिस प्रकार रात दिन और प्रकाश अंधेरा होता है, ठीक उसी प्रकार जन्म है तो मृत्यु भी सुनिश्चित है। जीवन मरण के बीच के दौर में व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य ही उसकी सार्थकता या निरर्थक सिद्ध करते हैं। ऐसे में हमें अपने जीवन में हमेशा सद्कर्म करने चाहिए।


       उपरोक्त बातें सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने सिद्धपीठ पर आयोजित अपने आविर्भाव दिवस के अवसर पर बुधवार को श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए कहा।

इस कार्यक्रम में सिद्धपीठ से जुड़े श्रद्धालु अपने गुरु जी का पूजन अर्चन कर आशीर्वाद लेने उपस्थित रहे। शिष्य को संबोधित करते हुए उन्होंने कहाकि वर्ष के 365 दिन मैं लोगों को आशीर्वाद देता हूं। लेकिन यह एक दिन ऐसा होता जिस दिन मुझे आशीर्वाद की आवश्यकता है। ऐसे में मैं अपने सभी से श्रद्धालुओं से निवेदन करता हूं कि मुझे ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें मैं जीवन पर्यंत धर्म, सनातन, लोकहित, सद्भाव व परमार्थ के कार्य करता रहूं। 

          उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शमीम अहमद ने कहाकि सिद्धपीठ की माटी चंदन के समान है। जीवन की कोई भी समस्या बुढ़िया माई के दर्शन मात्र से निदान की ओर चला जाता है। सच्चे श्रद्धा से सर झुकाने वाला कभी निराश नहीं होता है। 

      अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय सिंह ने कहाकि सनातन संस्कृति की थाती सहेजे हुए यह पीठ श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र बना है। जिसकी ख्याति देश के कोने कोने में फैली है। इस सिद्धपीठ पर एकता, समानता, अखंडता का संदेश दिया जाता है, 

       वक्ताओ में डीआईजी वाराणसी डॉ ओमप्रकाश सिंह, भारत की प्रथम विमानन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर वी एन सिंह, जिला धिकारी आर्यका अखौरी, पुलिस अधीक्षक डा ई राज, पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा विभाग अध्यक्ष डॉ जेपी सिंह, डॉ संतोष यादव, डॉ अखण्ड राय, विश्वनाथ मंदिर ट्रस्टी पंडित प्रसाद दीक्षित, डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, डॉ मंगला सिंह, शामिल रहे। इस अवसर को प्रमुख रूप से भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह, रमेश सिंह पप्पू, रजनीश राय, झारखंड राय, डॉ ऋतु गर्ग, डॉ संजय गर्ग, विजय शंकर राय, वरुण सिंह, विपिन सिंह, दीक्षा दुबे, अंजना यादव, वंदना यादव, शिवानंद झुन्ना शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सानंद सिंह ने किया।

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