सद्भावना यात्रा में विश्व नागरिक बनने की ली शपथ

गाज़ीपुर। शिक्षक का दायित्व सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान देना नहीं है, बल्कि अपने छात्रों को एक ऐसे परिवेश के लिए तैयार करना है जहां वे सभी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर विश्व नागरिक बनने की ओर अग्रसर हो सकें।

      इसी उद्देश्य को लेकर द प्रेसिदियम इंटरनेशनल स्कूल ने निदेशक माधव कृष्ण के निर्देशन में शनिवार को सद्भावना यात्रा  आयोजन की गयी। इस यात्रा का पहला पड़ाव लूर्द्स कान्वेन्ट स्थित चर्च था जिसमें सिस्टर अल्फोन्सा के निर्देश के अनुसार सभी ने होली मास में प्रतिभाग किया। फादर रोड्रिगेज ने छात्रों को क्रिश्चियनिटी के सुंदर संदेशों से लाभान्वित किया और संत मार्टिन के जीवन से परिचित कराया। प्रार्थना सभा के अंत में सभी ने इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन के बीच शांति की प्रार्थना की.

      यात्रा का दूसरा पड़ाव शाह फैज़ पब्लिक स्कूल स्थित मस्जिद रही जिसके निदेशक डॉ नदीम अदहमी, प्रिंसिपल हक व अन्य कर्मचारियों ने छात्रों का प्रेमपूर्वक स्वागत किया। मस्जिद के अंदर प्रिंसिपल हक ने सभी को इस्लाम के आधारभूत सिद्धांतों के विषय में तथा तौहीद, नमाज, रोजा, जकात और हज के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही ताबिश ने इस्लाम के वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी दी। निदेशक नदीम ने बताया कि ईश्वर एक है, केवल उस तक पहुँचने के अलग-अलग मार्ग हैं और इसलिए अलग-अलग धर्म हैं। 

      इसके बाद सद्भावना यात्रा महाजन टोली स्थित गुरुद्वारा पहुंची जिसमें सरदार दर्शन सिंह  ने अपनी टीम के साथ सभी छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने श्री गुरुग्रंथ साहिब, गुरुनानक देव, गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह और सिख धर्म की प्रमुख विशेषताओं के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हम एक ग्रन्थ को ही गुरु मानते हैं। हमारे अंतिम गुरु गोबिंद राय जी थे जिन्होंने कश्मीरी ब्राह्मणों की रक्षा के लिए अपने पिता को प्रेरित किया और खुद को अपने पूरे कुटुंब सहित बलिदान कर दिया‌। उनके बाद ही सिखों को एक अलग पहचान मिली। 

        यात्रा का आखिरी पड़ाव कलेक्टर घाट स्थित गंगा माँ के तट पर स्थित मंदिर थे जिनके विषय में निदेशक माधव कृष्ण ने छात्रों को विस्तार से बताया। हिन्दू धर्म का समावेशी स्वरूप, लचीलापन, सभी के अंदर एक ईश्वर को देखने की प्रवृत्ति और इसका गूढ़ दर्शन जिसने हजारों वर्षों से पूरे विश्व को आकृष्ट किया है और जिसके कारण संसार के सभी पंथ और धर्म भारत में शांतिपूर्वक एक साथ रह पाते हैं। छात्रों ने सभी पड़ावों पर अपनी जिज्ञासा शांत की और विश्व नागरिक बनने की शपथ ली।

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