कविता संग्रह  ‘गुलशन के फूल’ का लोकार्पण सम्पन्न

कवि सम्मेलन के जमकर लगे ठहाके

गाजीपुर। आदर्श जनता इंटर कॉलेज पलिया के जमुना सिंह यादव सभागार में रविवार को  विजय कुमार मधुरेश के ‘गुलशन के फूल’ कविता संग्रह का लोकार्पण व कवि सम्मेलन ससमारोह सम्पन्न हुआ।

        प्रगतिशील रचनाकार मंच के तत्वाधान में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री प्रीतम कुमारी की वाणी बंदना से हुआ।  इसके बाद प्रीतम की ग़ज़ल ” जब से हमारी नजरें मिल गई हैं आपसे, सबसे ज्यादा खुश नसीब अपने को मानने लगी हूं” पर श्रोताओं ने जमकर दाद दी। वहीं कवि विजय कुमार ‘मधुरेश’ ने नेताओं पर करारा व्यंग करते हुए कहा ” सांपों के मुखिया ने अपनी बस्ती में ऐलान किया, डसना मत नेता को किसी तुम वरना खुद मर जाओगे”, मधुरेश के इस व्यंग्य रचना को सुनकर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा। कवि सूरज पांडेय ‘सुजान’ ने आदमी को कर्म करने का संदेश दिया -यदि करो तो क्या है नहीं होगा जमाने के लिए’ तो डॉ अक्षय पांडेय ने बदलते परिवेश का दर्शन कराते हुए कहा ‘अब आबो हवा  बेरुखी कह रही है, कांटों में सिकुड़न बढने लगी है। गौरीशंकर पाण्डेय सरस ने कहा’आईना जब से खुद को संवरने लगा, रूप बदरंग उसका निखरने लगा–, इसके अलावा सुदर्शन ‘चिराग’, दिनेश चंद्र शर्मा रवि, कामेश्वर द्विवेदी, हरिनारायण ‘बेसुध’, डॉ दूधनाथ भारती ने दमदार रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को अन्त तक बांधे रखा।

       कवि सम्मेलन के पूर्व मुख्य अतिथि डॉ अभय राज यादव प्रोफेसर राजकीय पीजी कॉलेज सैयदराजा चंदौली, विशिष्ट अतिथि राम नगीना यादव जिला समाज कल्याण अधिकारी गाजीपुर, प्रोफेसर शिव कुमार यादव ने कवि विजय कुमार ‘मधुरेश’ के रचित काव्य संग्रह गुलशन के फूल का लोकार्पण किया। मुख्य अतिथि डॉ अभय राज ने कहा परिपूर्ण क्षणों की वाड़ी कविता हृदय की मुक्ति साधना है। कविता भाषा में आदमी होने की तमीज है। कार्यक्रम के अंत में विजय कुमार यादव’मधुरेश द्वारा मंचासीन अतिथियों और आमंत्रित कवियों एवं पत्रकारों को अंग वस्त्र अलंकरण तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर हरिनारायण यादव एडवोकेट, पद्माकर पांडेय,रमेश यादव, प्रदीप यादव, आकाश यादव, डॉ शिवकुमार, मुजुर यादव, रामनिवास यादव, सुरेश राय, नगीना सिंह यादव,राधिका यादव, प्रियंका यादव, रामकेश पांडेय, प्रमोद राय, आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता आदर्श विद्यापीठ रूहीपुर के प्रबंधक रामवृक्ष यादव व संचालन आचार्य गौरी शंकर पांडेय ‘सरस’ ने किया। अंत में कवि विजय कुमार मधुरेश ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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