मां भगवती के पूजन अर्चन का महापर्व है बासंतिक नवरात्रि

गाजीपुर। बासंतिक नवरात्रि में माता रानी का शास्त्रोक्त विधि से पूजन अर्चन हर वर्ष की भांति ईस वर्ष भी जारी है। हिंदू परिवारों में कलश स्थापना कर विधिक विधान से पूजन अर्चन किया जा रहा है। वहीं श्रद्धालु जनों द्वारा मां के मन्दिरों में मत्था टेक कर पूजन अर्चन व आराधना का क्रम जारी है।         मनिहारी क्षेत्र के प्रसिद्ध कालीधाम हरिहरपुर स्थित मां काली मंदिर पर चैत्र नवरात्र के धार्मिक अनुष्ठान बुधवार चैत्र प्रतिपदा के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आरंभ हुआ।  वासंतिक नवरात्र महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन के मध्य श्रद्धालु जन पुण्य लाभ की कामना के साथ यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर रहे हैं। सिद्धपीठ हथियाराम के 26वें पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज के संरक्षकत्व में नवरात्र पर्यंत चलने वाले इस वृहद अनुष्ठान में पुण्य लाभ की कामना के साथ शिष्य श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। लगभग साढ़े सात सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम की शाखा हरिहरपुर की मां काली खड़बा क्षेत्र के 40 गांवों में रहने वाले लोगों की कुल देवी हैं। इस धाम में विद्यमान दक्षिणमुखी देवी प्रतिमायें अलौकिक और पुण्य फलदायक हैं। यह मंदिर व इसमें स्थापित मां काली की तीन मूर्तियां स्वयं में काफी महत्व रखती हैं। बताते हैं कि सच्चे हृदय से इनका दर्शन करने मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है। मन्दिर में विद्यमान तीन प्रतिमाएं मां के तीनों रूपों महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के रूप में हैं, जिनकी पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। 

       माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए देश के कोने-कोने से शिष्य-श्रद्धालु पहुंचकर श्रद्धाभाव से देवी माता और पीठाधिपति महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति महाराज के श्रीचरणों में श्रद्धानवत हो रहे हैं।               

           हरिहरात्मक पूजन के उपरांत प्रवचन करते हुए स्वामी भवानी नन्दन यति ने भगवती दुर्गा की आराधना को सर्वदा फलदायक बताया। कहा कि पूजा-पाठ और संत समागम से जुड़कर ही मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध किया जा सकता है। कहा कि कर्म ही पूजा नहीं, वरन पूजा ही कर्म है, के मूलमंत्र जीवन में आत्मसात करें। दूसरी तरफ काली धाम में आने वाले भक्तों के लिए भंडारा का आयोजन चल रहा है, जिसमें महाप्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु जयकारा लगाते हुए अपने घरों को लौट रहे हैं। समूचे क्षेत्र का माहौल देवीमय बना हुआ है। 

         उधर सिद्धपीठ हथियाराम स्थित बुढ़िया माता मंदिर पर भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन कर मनोकामना पूर्ण होने की कामना किया। शंख,घंटा घड़ियाल तथा वैदिक मंत्रोच्चार से सारा क्षेत्र भक्ति मय बना हुआ है। श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास के केन्द्र के रूप में स्थापित मां काली की तीन मूर्तियां अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, जिनका दर्शन पूजन करने और सिद्धपीठ के पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज का चरणरज लेने के लिये शिष्य श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। पीठाधीश्वर के संरक्षकत्व में वाराणसी से आए विद्वान ब्राम्हणों द्वारा नवरात्र के प्रथम दिन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पंचांग पूजन, भगवती का आह्वान व चंडी पाठ से नवरात्र का शुभारंभ हुआ। वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार मत्था टेक रही है। महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज ने श्रद्धालुओं को वासंतिक नवरात्र का महत्त्व बताते हुए कहा कि यह समय माता भगवती की आराधना और उपासना के लिए अत्यन्त शुभ माना जाता है। चैत्र माह में प्रकृति अपनी आन्तरिक सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है। हर तरफ नये जीवन का, एक नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है। नवीनता युक्त इस मौसम में प्राणियों में एक नई उर्जा का संचार होता है। लहलहाती फसलों, प्रफुल्लित पेड़ पौधों  से प्रकृति भरी रहती है। सूर्य अपने उत्तरायण की गति में होता है। इस समय मां भगवती की आराधना, पूजन अर्चन करने से विशेष अनुभूति होती है। शरीर में नव स्फूर्ति का संचार होता है। उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ करने से देवी देवताओं की कृपा के साथ ही मन को शांति भी मिलती है। बड़े ही भाग्य से मिले मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध करते हुए इसे भगवत भजन और सत्कर्म करने में लगाएं, तो निश्चित रूप से इस जीवन के साथ ही परलोक भी सुधरेगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने सत्कर्मों के जरिये ही इस दुनिया से चले जाने के बाद भी याद किया जाता है। जीवन काल में कुछ ऐसा कर जाएं, ताकि लोग आपको याद करें। कहा कि सांसारिक जीवन में धर्म-कर्म और परमात्मा की आराधना-वंदना करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

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