वानस्पतिक चिकित्सा पद्धति समय की मांग

गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)। जनमानस को निरोग बनाने हेतु सिर्फ वनस्पतियों का उपयोग कर पूर्ण वानस्पतिक चिकित्सा पद्धति की सौगात देने वाले काउंट सिजर मैटी की 214 वीं जयंती ससमारोह मनायी गयी। इलेक्ट्रोहोमियोपैथिक प्रेमियों द्वारा महात्मा मैटी के चित्र पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
अपने उद्बोधन में डा ए के राय ने कहा कि प्रकृति के पंचतत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश तथा वायु) से पोषित वनस्पतियां अपने समावेशित प्रभाव से रोगों को दूर करने में आदि काल से सक्षम रही हैं। यही कारण है कि सभी चिकित्सा पद्धतियों में वनस्पतियों का उपयोग किसी न किसी रुप में अवश्य किया जाता है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में वनस्पतियों के प्रयोग से सभी लोगों को राहत मिली है। प्रकृति प्रदत्त वनस्पतियों की रोग निरोधक क्षमता को परखने और उन पर लम्बी शोध के उपरांत बोलांग्ना (इटली) के राष्ट्रभक्त, समाजसेवी, मानवता प्रेमी डा. काउंट सीजर मैटी द्वारा 1865 ईस्वी में पूर्ण वानस्पतिक चिकित्सा पद्धति “इलेक्ट्रो होमियोपैथी”का अविष्कार किया। महात्मा मैटी ने विश्व कल्याणार्थ मात्र वनस्पतियों पर आधारित चिकित्सा पद्धति “इलेक्ट्रो होम्योपैथी” प्रस्तुत कर मानवता की सेवा की। इलेक्ट्रो होमियोपैथी की ये औषधियां अनुपम, तत्काल गुणकारी, हानिरहित और विषविहीन होती हैं, इनके प्रयोग से शरीर में किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए सरकार तथा शीर्ष अदालत सहित उच्च न्यायालय ने भी समय समय पर इसके पक्ष में निर्णय देकर इनकी शिक्षा, चिकित्सा तथा अनुसंधान करने की अनुमति प्रदान की है। इलेक्ट्रो होमियोपैथिक शीर्ष संस्थाओं के प्रतिवेदनों तथा माननीय न्यायालयों के आदेश पर तथा इस चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता को देखते हुए इसके नियमन व नियंत्रण हेतु केन्द्र सरकार द्वारा समिति गठित कर इस दिशा में यथोचित कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार ने इलेक्ट्रो होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति को मान्यता प्रदान करने के सम्बन्ध में राज्य विधानसभा में 10 मार्च 2018 को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरन सराफ द्वारा “राजस्थान इलेक्ट्रोपैथिक चिकित्सा पद्धति विधेयक 2018” को सदन में पेश किया जो ध्वनिमत से पारित हुआ। राजस्थान सरकार ने इलेक्ट्रो होमियोपैथी का नियमन और नियंत्रण हेतु इलेक्ट्रोपैथिक मेडिकल कौंसिल का गठन करते हुए अध्यक्ष पद पर डा. हेमन्त सेठिया की नियुक्ति की। आज देश के विभिन्न प्रांतों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के चिकित्सक, शिक्षण केंद्र, अनुसंधान संस्थान व औषधि निर्माण केन्द कार्य कार्यरत हैं जो इन औषधियों के माध्यम से पीड़ित मानवता को रोगमुक्त कर रहे हैं।

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