स्वतंत्रता-आंदोलन के सच्चे महानायक थे भिखारी अंसारी

ग़ाज़ीपुर। जंगे आजादी के सुरमा शहीद भिखारी अंसारी की शहादत दिवस पर भारतीय पसमांदा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसीम रज़ा ने युसूफपुर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।

वक्ताओं ने कहा कि शेख भिखारी का जन्म 1831 में खुदिया-लोटवा गाँव झारखंड में एक बुनकर अंसारी परिवार में हुआ था। उन्होंने टिकैत उमराव सिंह की सेना का नेतृत्व किया और रामगढ़ और डोरंडा के बागी सिपाहियों के साथ मिलकर अंग्रेज़ों की जेलों से कैदियों को रिहा कराया और अंग्रेजों के दफ्तरों को जला दिया था। 1857 की जंग-ए-आज़ादी में शेख भिखारी ने झारखंड के लोगों के साथ संथाल आदिवासियों का नेतृत्व किया था। उनकी बहादुरी और बेबाक़ी ने ब्रितानी हुकूमत की नींद हराम कर दी। उनकी नेतृत्व क्षमता से तंग आकर अंग्रेजों ने शेख भिखारी को छल-कपट से 8 जनवरी 1958 को सरेआम पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी। श्रद्धांजलि सभा में पासमादा इतिहास पर चर्चा कर लोगो को जागरूक किया और बताया कि आजादी की लड़ाई में केवल सवर्ण मुस्लिमों ने ही बलिदान नहीं दिया, बल्कि उसमें पसमांदा मुस्लिम भी कहीं से पीछे नहीं रहे। इनका भी लहू भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहा है। आज पसमांदा मुस्लिमों की स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को भुलाने की कोशिश की जा रही है। आज के परिवेश में इनका नाम भी राजनैतिक पार्टियां सिर्फ वोट के लिए लेती हैं। मौजूदा सरकर द्वारा भी शहीद भिखारी अन्सारी को भूला दिया गया जो दुख और चिंता की बात है। श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ कांग्रेसी अब्दुल मन्नान अंसारी, हीरू, इफ्तेखार अंसारी, सभासद शमशाद खान,शकील खान,अंसारी साहब, समाजसेवी अमीर हमज़ा, अफ़ज़ाल अंसारी, फरहान आदि शामिल रहे।

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