निकाय चुनाव की बढ़ी सरगर्मी, न्यायालय के आदेश पर टिकी निगाहें 

गाजीपुर। निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर उच्च न्यायालय द्वारा 20 दिसम्बर तक के लिए रोक लगाने के बावजूद निकाय चुनाव में भागीदारी की ताल ठोकने वाले भावी उम्मीदवार पूरे मनोयोग से अपने क्षेत्र में गणेश परिक्रमा में जी जान से जुटे हुए हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष व सभासद पद के संभावित उम्मीदवार जनता के दरबार में दिन रात हाजिरी लगा रहे हैं। सादात नगर पंचायत अध्यक्ष पद हेतु अब तक आधा दर्जन दावेदार चुनावी वैतरणी में गोता लगाने को आतुर हैं।


बताते चलें कि नगर पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित होने से सभी वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। नये और पुराने चेहरों को मिलाकर चेयरमैन पद के लिए अब तक छह उम्मीदवार मैदान में सामने हैं, जो जनता के बीच पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ऐसा ही हाल नगर के 11 वार्डों से सभासद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का भी है जो अपना चुनावी भाग्य आजमाने के लिए बड़े-बुजुर्गों का पांव छूकर आशीर्वाद ले रहे हैं तो हम उम्रों और अपने उम्र में छोटे से कुशलक्षेम पूछकर अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं। चट्टी चौराहे से लेकर चाय-पान की दुकानों पर जुटने वाली भीड़ भी चुनावी कुरुक्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने में लगी है। कोई अभी से अपने मनचाहे प्रत्याशी को संभावित विजेता बता रहा है तो कोई किसी दूसरे प्रत्याशी को चुनावी रेस में सबसे आगे बता रहा है। इतना ही नहीं बल्कि भावी प्रत्याशियों के यहां भी उनके समर्थकों और चाटुकारों की भी चांदी कट रही है। उल्लेखनीय है कि नगर पंचायत सादात का गठन 25 अक्टूबर 1971 को हुआ, लेकिन नगर पंचायत की बागडोर लगभग 18 वर्ष तक प्रशासन के हाथ में रही और पहला चुनाव वर्ष 1989 में हुआ जिसमें हरिदास वर्मा चेयरमैन चुने गए। उनका कार्यकाल 27 नवम्बर 1993 को पूरा होने के बाद करीब दो साल तक सुपरसीट रही टाउन एरिया की जनता को 02 दिसम्बर 1995 को श्यामनारायण भारद्वाज के रूप में अपना दूसरा चेयरमैन मिला। दो वर्ष बाद इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर इन्हें हटा दिया गया। ऐसे में वरिष्ठ भाजपा नेता शिवानन्द सिंह मुन्ना करीब सात माह तक चेयरमैन की कुर्सी पर आसीन रहे। इसके बाद उपचुनाव में फिर से श्यामनारायण भारद्वाज चेयरमैन चुने गए और पहली दिसम्बर 2000 से अस्तित्व में आई तृतीय निर्वाचित कमेटी की बंगडोर एक बार फिर से श्यामनारायण राजभर को ही जनता ने सौंपा। वर्ष 2006 में हुए चौथे चुनाव में राजनाथ यादव विजयी हुए। इसके बाद 2012 में उनकी पत्नी प्रमिला यादव चेयरमैन बनी। वह दिसम्बर 2017 के छठवें चुनाव में भी जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार अध्यक्ष चुनी गई। इस बार सातवां चुनाव होने जा रहा है। इस बार निकाय चुनाव में 10,777 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जबकि वर्ष 2017 के चुनाव में नगर के मतदाताओं की संख्या 9553 रही, जिनमें से 6510 ने वोट डाला था। देखना यह है कि इस बार बढ़े 1224 नए मतदाताओं का रुझान किसकी तरफ होता है। पुराने मतदाता जहां अब तक के चुनाव जीते लोगों के कार्यों का आकलन कर रहे हैं तो वहीं नये मतदाता भी नगर पंचायत के प्रति जागरूक उम्मीदवार को ही बागडोर सौंपने की तैयारी में है। वैसे नगर पंचायत चुनाव की वास्तविक तस्वीर तो चुनावी घोषणा और प्रत्याशियों के चेहरे सामने आने के बाद ही होगी जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है।

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