स्वर्ण जयंती वर्ष में पहुंचा पी जी कालेज भुड़कुड़ा

गाज़ीपुर। श्री महन्थ रामाश्रयदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय भुड़कुड़ा अपनी पचास वर्ष की यात्रा पूरी करके अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है। अपने स्वर्णिम इतिहास को संजोए यह महाविद्यालय आरंभ काल से लेकर अब तक लगातार प्रगति के पथ पर चलायमान रहा है जिले से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में सिद्धपीठ भुड़कुड़ा के तत्कालीन पीठाधिपति श्री महन्थ रामाश्रय दास के करकमलों द्वारा सन 1972में इस ज्ञान केन्द्र की स्थापना हुई थी। मठ के आशीर्वाद, प्रबंधतंत्र के प्रयास तथा जनसहयोग से, जखनियां तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूर अत्यन्त पिछड़े क्षेत्र में स्थित यह महाविद्यालय किसी वरदान से कम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जनपद में आठ अशासकीय महाविद्यालय हैं जिनमें यह महाविद्यालय अपने कर्मठ, योग्य, अनुभवी प्राध्यापकों के बल पर शिक्षा जगत में एक अमिट छाप बना चुका है।
संस्थापक प्राचार्य डा.इंद्रदेव सिंह के कुशल नेतृत्व में यह महाविद्यालय जनपद ही नहीं वरन पूर्वांचल के अग्रणी संस्थाओं में स्थापित हुआ। वर्तमान में यहां कला संकाय, वाणिज्य संकाय,विज्ञान संकाय, शिक्षा संकाय में स्नातक तथा स्नातकोत्तर की शिक्षा के साथ शोध की सुविधा उपलब्ध है। यहां पुस्तकालय, प्रयोगशाला, क्रीड़ा स्थल, महिला एवम् पुरुष छात्रावास तथा सभागार जैसी सुविधाओं से युक्त है। स्थाई शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के कारण रिक्त पदों पर वर्तमान समय में स्ववित्तपोषित एवम् अंशकालिक शिक्षकों के अलावा शासन द्वारा नियुक्त पच्चीस योग्य स्थाई शिक्षकों तथा नवागत प्राचार्य प्रो.बृजेश कुमार जायसवाल के निर्देशन में महाविद्यालय का शैक्षिक वातावरण उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहा है।
एनसीसी के विशेष शिविर में प्रतिभाग कर रहे कई जनपदों के पांच सौ कैडेट्स के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य ने कहा कि शिविर से प्राप्त ज्ञान का उपयोग आप मानव, समाज व राष्ट्र हित में करें। उन्होंने महाविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आने वाले समय में वाई फाई युक्त परिसर, डिजिटल लाइब्रेरी, स्मॉर्ट क्लासरूम बनाना हमारा लक्ष्य होगा। साथ ही समता, स्वतंत्रता व बन्धुभाव जैसे मूल्य विद्यार्थियों के आचरण में आये, इस दिशा में हमें सामूहिक प्रयास करना दिया होगा। संतों के आशीर्वाद से अभिसिंचित यह भूमि अत्यंत उर्वर है, यह मूल्यपरक शिक्षा, संस्कार एवं आध्यात्मिक परंपरा का संवाहक है।महाविद्यालय की गौरवशाली परंपरा को बनाए रखना तथा आगे ले जाना हमसब का सामूहिक दायित्व है।

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