आजादी के अमृत महोत्सव पर कवि की रचना

भारती की आन बान, शान को बताने वाले,
तिरंगे की गरिमा को, सबको सुनाता हूं।

शहीदों ने लहु दे के , सींचा दिन रात जिसे,
उसकी ऊंचाई को मैं, शब्दों से बढ़ाता हूं।

तीन रंगों वाला झंडा, लहराता देख कर,
बलिदानियों को सभी, शीश मैं नवाता हूं।

पूछते हैं लोग जब, झंडे से क्या मिलता है,
झंडे में ही उन्हें पूरा, हिन्द मैं दिखाता हूं।

**कवि, अशोक राय वत्स*

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