शहीद मंगल पांडेय जयंती पर हुए विविध कार्यक्रम

गाजीपुर। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत शहीद मंगल पांडेय जयंती जनपद में धूम धाम से मनायी गयी। शहीद मंगल पांडेय की जयंती के अवसर पर जनपद के माध्यमिक शिक्षा एवं बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों में 1857 की क्रांति से संबंधित स्वतंत्रता सेनानी पर इतिहास लेखन, वाद-विवाद एवं फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
शहीद मंगल पाण्डेय जंयंती के अवसर पर उच्च प्राथमिक विद्यालय देवचन्दपुर देवकली के प्रधानाध्यापक द्वारा छात्र-छात्राओं को महान संग्राम सेनानी मंगल पाण्डेय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1857 में मंगल पांडेय के विद्रोह ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। उसी समय से बलिया को बागी धरती का नाम मिला। उन्होंने बताया कि आज ही के दिन 1831 में उनका जन्म बलिया जिले के नगवां गांव में हुआ था, उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडेय और माता का नाम जानकी देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव की पाठशाला में हुई। 1849 मे वह ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा से जुड़े। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार उस वक्त अंग्रेजी सेना द्वारा लांच की गई एनफील्ड राइफल पी-53 में जानवरों की चर्बी से बने एक खास तरह के कारतूस का इस्तेमाल होता था, उसे राइफल में डालने से पहले मुंह से छीलना पड़ता था, इस बात की जानकारी होने पर मंगल पांडेय ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। 29 मार्च 1857 को जब नया कारतूस पैदल सेना को बांटा जाने लगा तो मंगल पांडेय ने उसे लेने से इन्कार कर दिया। इससे नाराज अंग्रजों ने उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतार लेने का हुक्म दिया। उनकी राइफल छीनने को अंग्रेज अफसर हु्रसन आगे बढ़ा, तो मंगल पांडेय ने उसे मार डाला। 6 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई।

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