कबीर-जयन्ती- विचार गोष्ठी सह कवि-गोष्ठी सम्पन्न

गाजीपुर। कबीर जयन्ती के अवसर पर साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में मंगलवार को नगर के विवेकानन्द कालोनी स्थिति कार्यालय पर एक विचार-गोष्ठी-सह कवि-गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत नगर के वरिष्ठ महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी की
“शारदे निज प्यार दे माँ ।
मति-विवेक निखार दे माँ ।।” जैसी सरस वाणी-वन्दना से हुई। नवगीतकार डॉ. अक्षय पाण्डेय ने वर्तमान समय में कबीर की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कबीर के जीवन-सन्दर्भों से जुड़े तमाम प्रसंगों द्वारा कबीर को जीवन पर्यन्त सामाजिक संतुलन एवं समरसता बनाये रखने वाला साहसी कवि बताया। डाॅ पाण्डेय ने अपना ‘कबिरा तो अनमोल रतन है’ शीर्षक नवगीत – “सदियों से सोये समाज का,जगता दर्पन है।
कबिरा तो अनमोल रतन है,शुचि संचित धन है।”सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अगले क्रम में नगर के वरिष्ठ कवि कामेश्वर द्विवेदी ने कबीर के काव्य की भाषिक संरचना पर प्रकाश डालते हुए अपने प्रबन्ध काव्य ‘गंगा’ से गंगा के माहात्म्य को रेखांकित करने वाली पंक्तियाँ – “गंगा का माहात्म्य सप्तद्वीप नवखण्ड और चारों वेदों में भी विधिवत गाया गया है। यह भी है शास्त्र सिद्ध जगत में विदित कि तीनों भुवनों में इन्हें माता माना गया है।” सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
*अगले विचारक एवं कवि के रूप में ‘साहित्य चेतना समाज’ के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने कबीर को निर्गुण ब्रह्म के उपासक,वाह्याडम्बरों का विरोधी, समाज-सुधारक सन्त कवि कहा, साथ ही अपनी चर्चित व्यंग्य कविता- ” जाऊं विदेश तो किस देश, बहुत सोचा दिमाग दौड़ाया, अंत में अपना देश ही भाया, यहीं करूंगा राजनीति का कारोबार, देश में अपने अच्छा चलेगा यह व्यापार।” सुनाकर खूब प्रशंसित हुए।
*आजमगढ़ से पधारीं हिन्दी की श्रेष्ठ कहानीकार एवं समकालीन कवयित्री डाॅ. सोनी पाण्डेय ने कबीर-काव्य में नारी निरूपण पर विशद् परिचर्चा की और कबीर के सामाजिक अवदान को विशेष रूप से रेखांकित करते हुए अपनी नारी-विमर्श पर आधारित कई कविताओं को सुना कर श्रोताओं को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। उनकी कुछ पंक्तियाँ – “जड़ों से कटा आदमी, कितना बचा सकता है हरापन, यह सोचने की बात है, इन दिनों किसी को फुर्सत नहीं, सोचने की, धरती है कि खो रही है तेजी से, अपना हरापन।”
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे देश के सुख्यात मंच-संचालक एवं वरिष्ठ कवि हरिनारायण ‘हरीश’ ने कबीर को हिन्दी के श्रेष्ठ सन्त कवि के रूप में स्थापित करते हुए उनके काव्यात्मक अवदान के साथ ही भक्तिकाल की निर्गुण काव्य-धारा का श्रेष्ठ कवि सिद्ध किया। इसी क्रम में हरीश जी ने कर्ण एवं शकुंतला जैसे मिथकीय चरित्रों पर आधारित अपनी चर्चित कविताओं को सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने सभी का स्वागत किया। संगोष्ठी में प्रवीण तिवारी, श्रीमती संगीत तिवारी, श्रीमती संगीता श्रीवास्तव,हर्षिता तिवारी, आशुतोष पाण्डेय, राकेश श्रीवास्तव के साथ ही नगर के तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अन्त में आभार ज्ञापन संगठन- सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने तथा संचालन डाॅ. अक्षय पाण्डेय ने किया।

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