कवि हौसिला प्रसाद की नयी रचना

राजनीतिक अवमूल्यन के
इस बेतुके दौर में
न कर्ज पर चर्चा है
न मर्ज पर ।
यहाँ तो चर्चा है
सिर्फ फर्ज पर।
वह भी झूठ ।
निराधार
निरर्थक
नाकाबिल
नक्कारा
नाकाबिलेबरदास्त ।।

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