कवि हौशिला प्रसाद अन्वेषी की दो नयी रचनाएं

मौसम

कई दिनों पर आया मौसम।
सब कुछ है फरमाया मौसम ।।
सुबह कहा अच्छा दिन आया ।
और शाम को खाया मौसम ।।

हमने सोचा बहुत भला है ।
मगर मुझे भरमाया मौसम ।।
बहुत तेज जो हवा चली थी ।
उस पर नजर गड़ाया मौसम ।।

सच्चाई भी सजग हो गई ।
उसको आंख दिखाया मौसम ।।
हल्ला बोला बहुत जोर से ।
बरबादी को लाया मौसम ।।

दुख के आगे कई दुखों का ।
महा जाल फैलाया मौसम ।।
अब तो रोने चिल्लाने पर ।
बिल्कुल रोक लगाया मौसम ।।

ले आया कानून पुराना ।
उसमें जहर मिलाया मौसम ।।
सत्य अहिंसा जो चाहे थे ।
उनको सबक सिखाया मौसम ।।

देशभक्त सब शांत हो गए।
ऐसा मौसम लाया मौसम ।।
जब भी सोचा इस मौसम पर।
हमको समझ न आया मौसम ।।

कई दिनों पर आया मौसम ।
सब कुछ है फरमाया मौसम ।।

*******बाल गीत*********

हम भी अपना काम करेंगे ।
सारे जग में नाम करेंगे ।।
खूब पढ़ेंगे खूब लिखेंगे ।
थोड़ा सा व्यायाम करेंगे ।।

कैसे होगा देश मुकम्मल।
चिंतन सुबहो-शाम करेंगे ।।
इन्हें बुलाकर उन्हें बुलाकर ।
कुछ नूतन परिणाम करेंगे ।।

भगत सिंह की तरह सोचकर ।
हम भी कुछ संग्राम करेंगे ।।
जीत हमें जब मिल जाएगी ।
तब तो युद्ध विराम करेंगे ।।

मगर शांति के लिए लड़ाई ।
हम तो आठो याम करेंगे ।।
चेहरों पर मुस्कानें लाकर ।
खुशियों का पैगाम करेंगे ।।

गलत विचारों का तो हरदम।
सारा काम तमाम करेंगे ।।
सबके घर में दीप जलाकर ।
बैठेंगे आराम करेंगे ।।

फहराएंगे ध्वजा तिरंगा ।
उसको सही सलाम करेंगे ।।
मातृभूमि के लिए सदा हम ।
जीवन में व्यायाम करेंगे ।।

हम भी अपना काम करेंगे ।
सारे जग में नाम करेंगे ।।

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