समर्पण ! भावना

सच्चाई को प्यार करेंगे।
और झूठ इनकार करेंगे ।।
वह जो झूठ परोसा हमको।
उसको तो लाचार करेंगे ।।

सत्यमेव जयते बोलेंगे।
जीवन को साकार करेंगे ।।
अपने प्यारे भारत को हम।
देव भूमि स्वीकार करेंगे ।।

जो भी हमें भ्रमित करता है ।
उसका बंटाधार करेंगे ।।
भारत माँ के हर दुश्मन का।
निश्चित ही संहार करेंगे ।।

जो भी हमसे सही रहेगा ।
उससे ही व्यापार करेंगे ।।
अपने सारे हमदर्दों से ।
सही सही व्यवहार करेंगे ।।

देशभक्त जितने हैं उनसे ।
प्यार यहाँ हर बार करेंगे ।।
मातृभूमि के हर रक्षक का।
सुखमय हम संसार करेंगे ।।

मानवता के रखवालों का ।
वंदन बारंबार करेंगे ।।
नैतिकता के महामंत्र का ।
हरदम मंत्रोच्चार करेंगे ।।

कवि- अन्वेषी

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