गणेशचतुर्थी ! गणपति बप्पा आज होंगे स्थापित

वाराणसी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुद्धि, विवेक, समृद्धि और सौभाग्य के देव गणपति देव को हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रथम पूज्य देव के रूप में पूजन का विधान है। मान्यता है कि प्रथम पूज्य गणेश का जन्म भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्यकाल में सोमवार को स्वाति नक्षत्र तथा सिंह लग्न में हुआ था। इसी कारण प्रतिवर्ष गणेशोत्सव का आयोजन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में किया जाता है। भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन ही भक्तजन गणपति बप्पा की प्रतिमा को स्थापित कर दस दिनों तक पूजन अर्चन के उपरांत अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। मान्यता है कि विनायक का जन्म दोपहर समय में हुआ था इसलिए अधिकांश श्रद्धालु भक्तजन दोपहर के समय में ही प्रतिमा स्थापित करते है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी की शुभ समय आज 22 अगस्त शनिवार को है। इस बार पूजनोत्सव हस्त नक्षत्र में होगा जो कि अत्यंत शुभ फलकारी होता है।
आज पूजनोत्सव आरम्भ करने का चौघड़िया मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक चर के रूप में, 1:30बजे से 3:00बजे तक लाभ के रूप में और 3:00 बजे से 4:30 बजे तक अमृत योग के रूप में मिल रहा है। इसके अतिरिक्त शाम को 6:00 बजे से 7:30 बजे लाभ योग रहेगा। उपरोक्त सभी समय में स्थापना करने का शुभ मुहूर्त है
कहा गया है कि गणपत की प्रतिमा स्थापित करने के लिए भक्त स्वयं सात्विक भाव से शुद्ध होकर स्नानादि से निवृत्त होकर शुभ समय में नियत स्थान पर लाल या पीला बस्त्र बिछाकर प्रतिमा को स्थापित करने का विधान है। इसके उपरांत अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य व लड्डू समर्पित कर पूजन किया जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ करने पर सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा की जाती है और कहा जाता है कि “वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा” ।। गणपति का पवित्र बीज मंत्र गं है। इसीलिए “ॐ गं गणपतए नमः” का जाप किया जाता है। इसके साथ ही गणेश गायत्री मंत्र का भी जाप किया जाता है। इसमें “ॐ एकदंताय विग्नेह वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात” का जाप किया जाता है कहा जाता है कि 11 दिनों तक 108 बार लगातार जप करने से मनोबांछित फल की प्राप्ति होती है।

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