कवि की नयी रचना

चलो आज सच्चाई पालें।
कहाँ छिपी है ढूँढ़ निकालें ।।
जो भी यहाँ स्वदेशी कहते।
उनको भी हम साथ बुला लें ।।

निर्भरता के सभी बिंदु पर ।
आओ पूरी नजरें डालें ।।
पूँजी के सारे निवेश पर।
आओ खुद को आज खँगालें ।।

झूठ यहाँ जो बोल रहे हैं ।
आओ उनकी आँख निकालें ।।
अंधेरों से लड़ने वाली ।
आओ लेकर चलें मशालें ।।

आपस में मिलजुलकर हम सब।
आओ सब मतभेद मिटा लें ।।
जन गण मन की सच्चाई को
आओ बैठें थोड़ा गा लें ।।

तेज नजर से हरदम देखें ।
नेता जी की टेढ़ी चालें ।।
तापमान को बढ़ा देखकर ।
अपने भीतर प्रश्न उबालें ।।

अपने भारत के मंगल को ।
आओ हम सब देखें भालें ।।
मानवता का बिगुल बजाकर ।
सबको अपना आज बना लें ।।

कवि – हौसिला प्रसाद “अन्वेषी”

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