कवि हौसिला प्रसाद अन्वेषी की नयी रचना

मजबूती से गाना होगा।
अपना देश बचाना होगा ।।
कई जगह पर घाव लगा है।
मरहम वहाँ लगाना होगा ।।

उन्नति की आधारशिला पर।
बढ़िया महल उठाना होगा ।।
रोज खोखली बात हो रही।
उससे पिंड छुड़ाना होगा ।।

जितना भी गंभीर यहाँ है।
उससे काम चलाना होगा ।।
हँसी मसखरी के चक्कर में ।
अब क्यों देश लुटाना होगा ।।

भारत की आबादी देखो।
सबको अन्न खिलाना होगा ।।
शिक्षा दीक्षा देकर उसको ।
उज्जवल राष्ट्र बनाना होगा ।।

जितनी भी है यहाँ गुलामी ।
उसको मार भगाना होगा ।।
नेता जी को नैतिकता का ।
बढ़िया घूँट पिलाना होगा ।।

राष्ट्र भक्त को आगे रखकर ।
खुद सम्मान बढ़ाना होगा ।।
अमन चैन की फसल उगाकर ।
भारत को चमकाना होगा ।।
अन्वेषी

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