कवि अन्वेषी की रचना

मन का बोझ उठाना सीखो ।
मन के भीतर गाना सीखो ।
दुख दर्दों के साथ यहाँ पर ।
मन ही मन मुस्काना सीखो ।।

आए हो तो किसी तरह से।
अपना फर्ज निभाना सीखो।।
पढ़ लिखकर काबिल बन जाओ ।
अपना स्वास्थ्य बनाना सीखो ।।

औरों की सेवा करने का।
मन में भाव जगाना सीखो ।।
शक्ति और सामर्थ्य बड़ा है ।
अपना शौर्य लुटाना सीखो ।।

परोपकार करने से पहले।
खुद को ही समझाना सीखो।।
दिशा चयन के कठिन मोड़ पर ।
नैतिक धर्म निभाना सीखो ।।

दुश्मन को भी प्रेम पिला कर ।
खुद को बड़ा बनाना सीखो ।।
औरों की सुविधा को देखो ।
अपना काम चलाना सीखो ।।

व्यर्थ बात सुनने से पहले ।
मन में धैर्य उगाना सीखो ।।
मन के भीतर छिपा देवता ।
उसको रोज जगाना सीखो ।।

राष्ट्र भक्ति का बिगुल बजाकर ।
अपना देश बचाना सीखो ।।
गौरवशाली हर प्रतीक को ।
हरदम गले लगाना सीखो ।।

मानवता के बड़े मंत्र को।
जीवन मंत्र बनाना सीखो ।।
नैतिकता के लिए विश्व में ।
तुम सर्वस्व लुटाना सीखो ।।
अन्वेषी

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