कवि हौशिला अन्वेषी की रचना

संयम आज दिखाना होगा ।
और संतुलन लाना होगा ।।
दायाँ हाथ फँसा है पश्चिम ।
बाएँ को सहलाना होगा । ।

नासमझी में बहुत घुसा है ।
तिकड़म जरा लगाना होगा ।।
कैसे यहाँ गुलामी आई ।
इस पर प्रश्न उठाना होगा ।।

मुश्किल के इस अंतिम क्षण में ।
निर्णय हमें सुनाना होगा ।।
कैसे हुई शहादत अपनी ।
यह रहस्य सुलझाना होगा ।।

मिलीभगत की इस दुनिया में।
हरदम तर्क लगाना होगा ।।
कैसे अपना देश बचेगा ।
इस पर शोर मचाना होगा ।।

चुपके चुपके हर मौसम में ।
हमें स्वदेशी गाना होगा ।।
पढ़े लिखे अनपढ़ के दिल में ।
राष्ट्रगीत बैठाना होगा ।।

जितना भी व्यवधान यहाँ है।
उसको आज हटाना होगा ।।
शांति और वैभव का झंडा ।
भारत में फहराना होगा ।।
अन्वेषी

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