वलयाकार सूर्यग्रहण 21 जून को

वाराणसी, 18 जून 2020।इस वर्ष का तीसरा ग्रहण, सूर्य ग्रहण के रूप में रविवार आषाढ़ अमावस्या दिनांक 21 जून 2020 को प्रात करीब सवा नौ बजे से शुरू होगा।स्थान भेद के कारण कुछ स्थानों में समय में कुछ परिवर्तन सम्भव है। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा। इसमें सूर्य वलयाकार दिखाई देगा।इसमें सूर्य किसी चमकती हुई अंगूठी की तरह दिखाई देता है।
उल्लेखनीय है कि चन्द्रमा अपने कक्ष में अंडाकार घूमता रहता है। चन्द्रमा से सूर्य की दूरी अधिक होने से दोनों का आकार बराबर दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण के दिन 21 जून को सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर आएगा।
इस सूर्यग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 48 मिनट होगी। सूर्य ग्रहण दिन में 9:16 बजे शुरू होगा। इसका चरम दोपहर 12:10 बजे होगा। मोक्ष दोपहर में 3:04 बजे होगा। इस ग्रहण को भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में देखा जा सकेगा। खगोलविदों के अनुसार इस बार सूर्य के वलय पर चन्द्रमा पूरे आकार का दिखाई देगा और सूर्य के बीच का भाग पूरी तरह काला रहेगा।
ग्रहण का सूतक काल 20 जून शनिवार रात 9:15 बजे से आरम्भ होगा। इसी के साथ मंदिर के पट भी बंद हो जायेंगे। सूतक काल में पूजा पाठ पूरी तरह वर्जित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण के 12 घंटे पूर्व और 12 घंटे बाद तक के समय को सूतक काल कहा जाता हैं।
जवाहर तारामंडल के निदेशक डॉ. रवि किरन ने बताया कि इस सूर्यग्रहण की स्थिति वलयाकार रहेगी। यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में ही पूर्ण रूप से दिखाई देगा। प्रयागराज में सूर्यग्रहण 78 प्रतिशत ही दिखाई देगा। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, सिरसा, राजस्थान के सूरजगढ़, देहरादून और चमोली में पूरा सूर्यग्रहण दिखाई देगा।
उल्लेखनीय है कि ऐसा ही सूर्यग्रहण 25 वर्ष पूर्व 24 अक्‍टूबर 1995 को लगा था। उस दिन ग्रहण के दौरान दिन में ही अंधेरा छा गया था।
बताया गया है कि सूर्य ग्रहण के साथ अधिकांश दो चंद्र ग्रहण का भी संयोग होता है। ये दोनों चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण से पहले या फिर एक पहले व एक बाद में होता है। इस वर्ष 21 जून के सूर्यग्रहण के पूर्व 5 जून को चंद्रग्रहण लगा था और फिर 5 जुलाई को चंद्रग्रहण लगेगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य और पृथ्वी की बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती हैं और उस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। 21 जून को सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा ऐसी स्थिति में आ जाएगा कि सूर्य का आधे से ज्यादा हिस्सा छिप जाएगा।
ज्योतिष नजरिए से 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। दुनिया में चल रही कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और कई देशों के बीच तनाव की स्थिति में यह सूर्य ग्रहण लग रहा है। धार्मिक रुप से ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इस सूर्यग्रहण में राहु सूर्य को ग्रास कर लेता है। ऐसी स्थिति में सूर्य कष्ट में रहते हैं। 21 जून को होने वाले सूर्य ग्रहण में एक साथ 6 ग्रह वक्री रहेंगे, अर्थात इस दिन बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु वक्री रहेंगे। ऐसे में यह सूर्य ग्रहण खास रहेगा। इस सूर्यग्रहण पर मंगल की दृष्टि पड़ने से यह देश व काल के लिए हानिकारक और नकारात्मकता भरा होगा।

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