कवि के उद्गार -“शहीदों व विरांगनाओं के सम्मान में” छंद लेखन
“शहीदों व विरांगनाओं के सम्मान में”
छंद लेखन
निगाह बाट जोहती,सपूत तूं कहाँ गया,
सभी दिशा सराहती,सपूत की महानता।
करूँ कभी विलाप ना,वधू यही बखानती,
अभूतपूर्व शौर्य को, खड़े खड़े निहारती।
दुखी सभी दिखे जहाँ, वहीं डटी विरांगना,
अवाक भीड़ देखती, नहीं हटी विरांगना।
तभी सुनी पुकार ये,करो इन्हें विदा नहीं,
कि देख के शहीद को हिया मेरा भरा नहीं।
जहाँ सजी चिता वहीं, रहे सभी पुकारते,
खड़े खड़े सभी वहीं, चिता रहे निहारते।
शहीद शौर्य वीरता, यही बखानते रहे,
वृथा न जाय आहुती ,इसे विचारते रहे।
कवि - अशोक राय वत्स
रैनी, मऊ उत्तरप्रदेश
मो.नं.8619668341
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