कविता ! सूर्योदय एक नया होगा”
सूर्योदय एक नया होगा”
खोने के गम के साथ साथ, कुछ पाने की अभिलाषा है।
जो तांडव देखा इन आंखों ने,उसे छोड़ शांति की आशा है।।
दुर्घटनाओं के काल चक्र ने, अपनों को हमसे छीन लिया।
भारत माँ का आँचल छलनी कर,अच्छे सपनों को लील गया।।
अरदास करुं इस साल यही, न मिले किसी को बदनामी।
सपने साकार सभी के हों,इस वर्ष मिले न नाकामी।।
हमने बेचैनी देखी है, माताओं की नम आँखों में।
भय ग्रस्त मंजर भी देखे हैं, अबलाओं की चीखों में।।
भय बाधाओं को छोड़ छाड़ ,नैतिक मुल्यों की आशा है।
नई कोपलों नव कलियों से,नैतिकता की अभिलाषा है।।
हम मिलें मुहब्बत से सबसे, हर घर में खुशहाली आए।
नामुमकिन को मुमकिन करने, हर घर में दीवाली आए।।
इस वर्ष मुझे ये आशा है, सूर्योदय एक नया होगा।
तम रुपी बदली को काट सके, ऐसा एक अरुणोदय होगा।।
कवि – अशोक राय वत्स
रैनी मऊ उत्तर प्रदेश
मो.नं.8619668341
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