चुनाव आयोग ! आपराधिक रिकार्ड वालों पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी मामले में करें फैसला

नयी दिल्ली, 25 नवंबर 2019। शीर्ष अदालत ने आज निर्वाचन आयोग से कहा कि आपराधिक रिकार्ड वाले व्यक्तियों को पार्टी टिकट देने से राजनीतिक दलों को रोकने के बारे में पेश प्रतिवेदन पर सुविचारित आदेश पारित करे।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका में निर्वाचन आयोग को ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जिससे कि राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाये जाने से रोका जा सके।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम निर्वाचन आयोग को निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता (उपाध्याय) के 22 जनवरी, 2019 के प्रतिवेदन पर तीन महीने के भीतर विचार करे और इस संबंध में विस्तृत आदेश पारित करे।’’याचिका में कहा गया था कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार भारत में राजनीति के अपराधीकरण में वृद्धि हुयी है और 24 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं।
याचिका के अनुसार लोकसभा के 2009 के चुनावों में 7,810 प्रत्याशियों का विश्लेषण करने पर पता चला कि इनमें से 1,158 या 15 फीसदी ने अपराधिक मामलों की जानकारी दी थी। इन प्रत्याशियों में से 610 या आठ फीसदी के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज थे। इसी तरह, 2014 में 8,163 प्रत्याशियों में से 1398 ने अपराधिक मामलों की जानकारी दी थी और इसमें से 889 के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले लंबित थे।

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