अविस्मरणीय ! जम्मू कश्मीर और लद्दाख आज से बनेंगें केंद्र शासित प्रदेश

नई दिल्ली,31 अक्टूबर 2019। सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आज से देश के दो नए केंद्र शासित राज्य बन गए। इस बदलाव के साथ में भारत में अब कुल 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनते ही अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र की सभी योजनाएं लागू होंगी।आज इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक व्यवस्था बदले हुए कानून के अंतर्गत कार्य करेगी। इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों पर अब आईपीसी और सीआरपीसी की धाराएं कार्य करेंगी। अब सरकारी दफ्तरों में एकता के प्रतीक के तौर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की तस्वीर लगाई जाएगी। आज श्रीनगर में जम्मू कश्मीर केंद्र शासित राज्य के राज्यपाल गिरीश चंद मुर्मू तथा लेह में लद्दाख केंद्र शासित राज्य के राज्यपाल राधा कृष्ण माथुर अपना पद संभालेंगे। अब वहां सारे कामकाज उर्दू के स्थान पर हिंदी में संपादित किये जायेंगे।
बताते चलें कि गत पांच अगस्त को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के अवसर पर चले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान में कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया और जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। अब अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गये और जम्मू-कश्मीर भी भारत के अन्य राज्यों की तरह एक राज्य होगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद, जम्मू कश्मीर को भी केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला तो वहीं लद्दाख भी जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। हालांकि दोनों की विधानसभा एक ही (जम्‍मू कश्‍मीर विधानसभा) रहेगी।
जम्‍मू-कश्‍मीर के संदर्भ में आर्टिकल 35A और अनुच्‍छेद 370 अहम रहा है। जाने इसके बारे में……

अनुच्छेद 35ए
1. 35A राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1954 को लागू किया।
2. तत्कालीन सरकार ने धारा 370 की ताकत इस्तेमाल की थी।
3. जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35ए, धारा 370 का हिस्सा है।
4. राष्ट्रपति से पास होने के बाद संविधान में इसे जोड़ दिया गया।
5. जम्मू कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते।
6. 14 मई 1954 को राज्य में रहने वाले लोग ही वहां के नागरिक माने गये। 1954 से 10 साल पहले से रहने वाले लोगों को नागरिक माना गया।
7. जम्मू कश्मीर की लड़की के बाहरी से शादी करने पर राज्‍य की नागरिकता से जुड़े अधिकार खत्म हो जाते रहे। शादी करने पर लड़की के बच्चों के भी जम्‍मू-कश्‍मीर में अधिकार नहीं माने जाते।

35A हटाने की मांग क्यों
1. इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया था।
2. इस अनुच्छेद की वजह से शरणार्थी अधिकार से वंचित रहे।
3. पाक के शरणार्थियों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं।
4. इनमें 80 फीसदी लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय के हैं।
5. जम्मू कश्मीर में शादी करने वाली महिलाओं से भेदभाव जारी।
6. भारतीय नागरिकों के साथ जम्मू कश्मीर में भेदभाव होता है।
7. जम्मू कश्मीर में संविधान से मिले अधिकार खत्म हो जाते हैं।
8. संविधान सभा से संसद की कार्यवाही तक बिल का जिक्र नहीं।
9. अनुच्छेद 35ए के लिए संविधान संशोधन लाने का भी जिक्र नहीं।

धारा 370 पर विवाद क्यों
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग।
2. जम्मू कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
3. देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं।
4. संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है।
4. रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होते।
5. केंद्र का कानून लागू करने के लिये जम्मू कश्मीर विधानसभा से सहमति ज़रूरी।
6. वित्तीय आपातकाल के लिये संविधान की धारा 360 जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं।
7. धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते।
8. कश्मीर में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
9. जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है।
10. धारा 370 की वजह से कश्मीर में सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार नियम लागू नहीं होता। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष के स्थान पर 6 वर्ष होता है।

Visits: 48

Leave a Reply