श्रद्धांजलि ! स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित कवि के भाव

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि

” कवि हृदय -हे हिन्द श्रेष्ठ”

हे कवि हृदय , हे हिन्द श्रेष्ठ
क्यों विदा हो गए, हमसे तुम?
कैसे समझायें ,हम मन को
तुम दूर हो गए, हमसे क्यों ?

हे अटल इरादे के कुबेर
क्यों चले गए, हमसे यों दूर?
हे शब्द पुरोधा ,अटल हृदय,
क्यों शांत हुए, कुछ तो बोलो?

हे हिन्दू मन ,हे हिन्द श्रेष्ठ,
क्यों रूठ गए, कुछ तो बोलो?
हे भारत रतन, हे सरल हृदय,
क्यों दूर हुए, कुछ तो बोलो?

हे कुशल प्रधान ,हे देशभक्त,
हे सांसद श्रेष्ठ, हे कर्तव्य निष्ठ।
क्यों चुप हो अब, कुछ तो बोलो?

तुम गौरव थे , तुम साहस थे
तुम से तो शान हमारी थी।
तुम चले गए, एक युग ही गया
कैसे गाथा अब , गाऊं मैं ?

हैं शब्द मौन , औऱ नेत्र सजल ,
हे कवि हृदय , हे हिन्द श्रेष्ठ।
आ जाओ फिर से, लौट यहाँ।
यह वत्स पुकार रहा है अब।

अब कौन हमें साहस देगा ?
अब कौन हमें दुलराएगा ?
हे कवि हृदय , हे हिन्द श्रेष्ठ
आ जाओ ना, तुम लौट यहाँ।

देखो वह संसद मौन हुई,
गमगीन हो गया काव्य जगत।
आकर फिर से हुंकार भरो,
यह धरा पुकार रही है अब।

आ जाओ बस एक बार यहाँ।
कर जाओ फिर से धन्य हमें।।
हे कवि हृदय हे हिन्द श्रेष्ठ।
कर जाओ फिर से धन्य हमें।।

रचना कार – अशोक राय वत्स
रैनी (मऊ) उत्तरप्रदेश

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