असुरक्षित जीपीएफ ! जालसाजी कर प्राध्यापकों के खाते से निकाले लाखों रुपये

गाजीपुर(उत्तर प्रदेश),21 अप्रैल 2019। जिले का चर्चित डिग्री कालेज मलिकपुरा एक बार फिर सुर्खियों में है। मामला यहां कार्यरत शिक्षकों के भविष्य निधि खाते का है। कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा हेतु संचालित भविष्य निधि खाते भी अब असुरक्षित हो गये हैं।
बताते चलें कि इससे पूर्व यह कालेज करीब दस वर्ष पूर्व तब चर्चा में आया था, जब विश्वविद्यालयी परीक्षा के दौरान एक परीक्षार्थी ने कक्ष निरीक्षक को गोली मारकर घायल कर दिया था। इस बार यह महाविद्यालय अपने लिपिक के कारनामे के कारण पूरे प्रदेश में पुनः चर्चा में है। जी हां, मामला कुछ ऐसा ही है,जिसे सुनकर नटवर लालों के भी हौसले पस्त हो रहे हैं। लिपिक की कारस्तानी यह रही कि महाविद्यालय में कार्यरत चार शिक्षकों के भविष्य निधि खाते से तकरीबन पैंतालीस लाख रुपये उड़ा लिए गये और उन्हें खबर भी नहीं लगी। भले ही यह मामला सिर्फ महाविद्यालय का है परन्तु जानकारों का कहना है कि किसी के भविष्य निधि खाते से वगैर उसकी अनुमति के पैसा निकालना अकेले किसी एक व्यक्ति के लिए सम्भव नही हो सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि निःसंदेह इसमें महाविद्यालय के स्टाफ व अन्य के साथ क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी और उच्च शिक्षा निदेशालय की भी भूमिका अवश्य रही होगी, वगैर उनकी जानकारी के इतना बड़ा षडयंत्र फलीभूत नहीं हो सकता।
मजेदार बात यह है कि वर्तमान प्राचार्य बालगोविंद सिंह भी इससे अछूते नहीं हैं बल्कि उनके जीपीएफ से भी साढ़े तेरह लाख रुपये निकाले गये हैं। इसके अतिरिक्त जालसाजों ने भूगोल विभाग के प्राध्यापक डा.कैलाशनाथ तिवारी,संस्कृत की प्राध्यापक डा.पुष्पा सिंह तथा वाणिज्य संकाय के प्राध्यापक डा. शिवशंकर मिश्र को भी अपना शिकार बनाया। बताया गया है कि यह घोटाला वर्ष 2017 से ही किया जा रहा है,जबकि महाविद्यालय के प्राचार्य ओम प्रकाश सिंह रहे हैं। इस मामले की जानकारी महाविद्यालय को तब हुई जब उच्च शिक्षा विभाग इलाहाबाद द्वारा डा. शिवशंकर मिश्र को उनके फोन पर 14 लाख रुपये के लोन स्वीकृत होने की सूचना दी गई। बताया गया कि डा. शिवशंकर मिश्र के जीपीएफ से 4 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं और इसके बाद अब दूसरी किस्त में 14 लाख रुपये का लोन दोबारा स्वीकृत हुआ है। इतना सुनते ही उनके होश उड़ गये कि वगैर मेरे आवेदन के यह सब कैसे सम्भव हुआ है। इसकी जानकारी उन्होंने अपने सहयोगियों को दी तो सबने अपने जीपीएफ खाते की जानकारी लेनी शुरू की तो चौकानें वाले तथ्य सामने आये, जिसके अनुसार डा. कैलाशनाथ तिवारी के खाते से 18 लाख, प्राचार्य बालमुकुंद सिंह के खाते से 13.50 लाख, डा.पुष्पा सिंह के खाते से आठ लाख रुपये निकाले जा चुके हैं। मजेदार बात यह रही कि ये धनराशि उपरोक्त भुक्तभोगियों के सेलरी खाते में न भेंज कर एसबीआई धानापुर (चन्दौली) की शाखा में भेंजी गयी थी, जो स्वयं में ही बड़ा प्रश्न है और वह बैंक शाखा भी संदेहों के घेरे में आ चुकी है, क्योंकि भुक्तभोगियों ने अपने खाते वहां खुलवाये ही नहीं थे। आशंका जताई जा रही है कि महाविद्यालय में कार्यरत किसी लिपिक की मदद से ही इस घोटाले को अंजाम दिया गया होगा। महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा इस सम्बन्ध में मामला दर्ज करा दिया गया है। महाविद्यालय प्रशासन ,क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी और उच्च शिक्षा विभाग इस मामले की आंच में तप रहे हैं और इसे लेकर हकलान है, क्योंकि बगैर उनकी पुख्ता जानकारी और संलिप्तता के यह कदापि सम्भव नहीं है। घटना के भंडाफोड़ होने के बाद प्रशासनिक व विभागीय जांच जारी है और महाविद्यालय से लेकर निदेशालय तक के कई लोग संदेह के घेरे में हैं। अब देखना यह है कि क्या जांच से दुध का दुध और पानी का पानी अलग हो पायेगा ? दोषियों को दण्ड और भुक्तभोगियों को उनकी धनराशि वापस मिल सकेगी ? या फिर अपने अपने लोगों को बचाने के फेर में ये जांच भी भविष्य के गर्भ में समा जायेगी।

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