सवर्ण आरक्षण ! शीर्ष अदालत करेगी  समीक्षा, नहीं लगायी रोक

नयी दिल्ली,25 जनवरी 2019। आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले पर रोक न लगाते हुए शीर्ष अदालत ने उसकी समीक्षा करने का फैसला किया है।
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने आज आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त करने वाले संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा, “हम मामले की जांच कर रहे हैं और इसलिए नोटिस जारी कर रहे हैं जिनका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए।”
जनहित अभियान और यूथ फॉर इक्वैलिटी जैसे संगठनों ने केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण को सामान्य वर्ग तक सीमित नहीं रखा जा सकता और 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। कारोबारी तहसीन पूनावाला ने भी याचिका दायर करके इसे खारिज करने का अनुरोध किया है। लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमश: आठ और नौ जनवरी को इस विधेयक को पारित कर दिया था और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण संबंधी इस प्रावधान को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी।

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