पत्रकारिता! सामाजिक सुरक्षा आवश्यक – प्रेस परिषद

नयी दिल्ली, 06 सितंबर 2018 । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजत जयंती समारोह के मौके पर आईआईएमसी परिसर में आयोजित सभा में कल वुधवार को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सी. के. प्रसाद ने पत्रकारों को “सामाजिक सुरक्षा” प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया। मीडिया के क्षेत्र में नौकरियों की अनिश्चितता के मुद्दे की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकार इसके बिना ठीक से काम नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में “पिंक स्लिप” शब्द का काफी इस्तेमाल किया जाता है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह संपादक हो या रिपोर्टर, जो कार्यालय जाता है, उसे यह पता नहीं होता कि उसका कल भी काम पर जाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रसाद ने कहा, “उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। क्योंकि दावे और प्रतिवाद हैं, और जब तक पत्रकार को इससे सुरक्षा नहीं मिलती, वह ठीक से और ईमानदारी से काम नहीं कर सकता है।”
उन्होंने अपने संबोधन में पत्रकारों से आह्वान किया कि वे समाज की बेहतर सेवा के लिए मानवाधिकारों के ज्ञान से खुद को मजबूत करें।
उन्होंने कहा, “मीडिया ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में लोगों को जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है…आज के परिदृश्य में जब मीडिया की शक्ति बढ़ी है, उन्हें सावधानी से, संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए।”
मीडिया की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू ने कहा कि कई अवसरों पर आयोग ने मानवाधिकारों उल्लंघनों पर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से दूरस्थ स्थानों पर मीडिया ने मानवाधिकार और उनके उल्लंघनों के बारे में आम लोगों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईएमसी) के महानिदेशक के जी सुरेश ने मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दोनों संस्थानों के बीच जुड़ाव का प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया जिसमें एनएचआरसी के 25 वर्षों की यात्रा का वर्णन है।
साभार – एएनएस

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