अनन्त यात्रा…….

यात्रा……

यात्रा जीवन का सबसे त्रासद भाग है
न चाहते भी भागना है
करना है प्रयास
शुभ तक पहुंचने का
जाने शुभ होता भी है या नहीं

पुरातन सभ्यताएं भी
करती हैं ऐसी ही यात्राएं……
पीढिय़ों तक
या विचरती हैं आत्माएं
शरीर दर शरीर
वाकई यात्रा जीवन का सबसे त्रासद भाग है

हम सब यात्रा में हैं
आदर्श अस्तित्व की यात्रा में
सुकरात डेकार्टे की…….
जबकि बेहतर है
इन भ्रामक यात्राओं से परे हट कर
कुछ छण ठहर जाना
विश्राम करना
नित्य की अनित्यता मेंं

यूं ही तो नहीं छोड़ जाता
अजीव जीव को
बद्ध होना कब तक
आखिर विश्राम तो करना ही है
सभी यात्राओं को झटक कर दूर
छण भर को ही
विश्राम तो करना ही है।

पूजा राय – शिक्षिका गाजीपुर

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