अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय  अल्पसंख्यक संस्थान नहीं

लखनऊ, 05 जुलाई 2018।विश्वविद्यालय द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को आरक्षण नहीं दिये जाने पर उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति—अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने कल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर आठ अगस्त तक जवाब मांगा है। बृजलाल ने कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है । ‘मैंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को आरक्षण नहीं देने के लिए एएमयू को नोटिस जारी किया है । जवाब आठ अगस्त तक मांगा गया है ।’ कहा कि हमने पूछा है कि किन परिस्थितियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया । उच्चतम न्यायालय ने अभी ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया है, जिसमें एएमयू को आरक्षण देने से रोका गया हो । उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आलोक में यह तय है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है । अन्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की तरह एएमयू भी केन्द्रीय कानून के तहत बना था । उसे आरक्षण देना चाहिए ।उन्होंने बताया कि 1989 में यूनीवर्सिटी कोर्ट ने प्रवेश में मुसलमानों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी प्रस्ताव पारित किया था । इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया । राष्ट्रपति ही विश्वविद्यालय के विजिटर होते हैं । राष्ट्रपति ने अपने जवाब में कहा कि मुसलमानों को 50 फीसदी आरक्षण देना असंवैधानिक है । उच्च न्यायालय ने भी कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है । उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के फैसलों के बाद यह तय हो गया है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है ।आयोग ने अपने नोटिस में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों को आरक्षण नहीं देने पर नाराजगी जताते हुए जबाब मांगा है।

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