मंजूरी ! जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू

नयी दिल्ली,20 जून 2018 । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जम्मू – कश्मीर में आज तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लागू हो गया है। पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर में करीब तीन साल गठबंधन सरकार में रहने के बाद कल भाजपा ने प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा – पीडीपी गठबंधन से स्वयं को अलग कर लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद राज्यपाल एन. एन. वोहरा ने राष्ट्रपति को भेजे गये पत्र में राज्य में केन्द्र का शासन लागू करने की सिफारिश करते हुए इसकी प्रति केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी थी। राष्ट्रपति ने वोहरा कि सिफारिश को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद आज तत्काल प्रभाव से प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है।

@ कश्मीर में चार दशक में आठवीं बार लागू हुआ राज्यपाल शासन
उल्लेखनीय है कि कल पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद से ही जम्मू- कश्मीर में पिछले 40 साल में आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू होने की संभावना प्रबल हो गयी थी। एन एन वोहरा के राज्यपाल रहते यह चौथा मौका है जब राज्य में केंद्र का शासन हुआ है। पूर्व नौकरशाह वोहरा 25जून,2008 को जम्मू – कश्मीर के राज्यपाल बने थे। निवर्तमान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की उन राजनीतिक घटनाक्रमों में प्रमुख भूमिका थी, जिसके कारण राज्य में सात बार राज्यपाल शासन लागू हुआ।पिछली बार मुफ्ती सईद के निधन के बाद आठ जनवरी,2016 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ था। उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था।तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से संस्तुति मिलने पर जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 को लागू करते हुए वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया था।जम्मू – कश्मीर में मार्च 1977 को पहली बार राज्यपाल शासन लागू हुआ था। उस समय एल के झा राज्यपाल थे। सईद की अगुवाई वाली राज्य कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख महमूद अब्दुल्ला की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था , जिसके बाद राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था।
मार्च 1986 में एक बार फिर सईद के गुलाम मोहम्मद शाह की अल्पमत की सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण राज्य में दूसरी बार राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था।इसके बाद राज्यपाल के रूप में जगमोहन की नियुक्ति को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस कारण सूबे में तीसरी बार केंद्र का शासन लागू हो गया था। सईद उस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री थे और उन्होंने जगमोहन की नियुक्ति को लेकर अब्दुल्ला के विरोध को नजरंदाज कर दिया था। इसके बाद राज्य में छह साल 264 दिन तक राज्यपाल शासन रहा, जो सबसे लंबी अवधि है।इसके बाद अक्तूबर ,2002 में चौथी बार और 2008 में पांचवीं बार केंद्र का शासन लागू हुआ। राज्य में छठीं बार साल 2014 में राज्यपाल शासन लागू हुआ था।

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