वर्चुअल नंबर !अब सुरक्षित होगा आधार डेटा

नई दिल्ली (उत्तर प्रदेश), 01 मई 2018।आधार कार्ड की डेटा की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने आधार व पासपोर्ट को लेकर नए नियम बनाए हैं जिसे आज एक जून से लागू करने की तैयारी है। निजी जानकारी के सार्वजनिक होने से बचाने के लिए तथा आधार नम्बर के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से सरकार ने नयी तरकीब निकाली है। अब आपको अपने 12 अंकों का आधार नंबर किसी को देने की जरूरत नहीं है। इसके स्थान पर आप एक वर्चुअल नंबर जेनरेट कर सकेंगे, जिससे आप किसी भी किस्म का सरकारी वैरीफिकेशन करा सकेंगे। अब आप घर बैठे मात्र आसान से तीन स्टेप्स को फॉलो करके अपना 16 अंकों वाला वर्चुअल आधार नंबर जेनरेट कर सकेंगे।इसके तहत यूआईडीएआई के साइट पर जाकर आधार कार्ड की एक वर्चुअल आईडी तैयार करेंगे और आपको जब भी अपनी आधार नम्बर कहीं देने की जरूरत हो तो आपको 12 अंकों के आधार नंबर की बजाय 16 नंबर की वर्चुअल आईडी देना होगा। यूआईडीएआई के मुताबिक वर्चुअल आईडी जनरेट करने की यह सुविधा 1 जून से अनिवार्य हो जाएगी। यूआईडीएआई ने वर्चुअल आईडी (VID) की जो व्यवस्था लाई है, इसके तहत धारक जितनी बार चाहे उतनी बार नयी वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकेगा। यह आईडी सिर्फ कुछ समय के लिए ही मान्य रहेगी। यूआईडीएआई यह सुविधा भी देगा कि आप खुद अपना वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकें अर्थात इस तरह आप अपनी मर्जी का एक नंबर चुनकर सामने वाली एजेंसी को सौंप सकते हैं, इससे न सिर्फ आपकी आधार डिटेल सुरक्षित रहेगी, बल्कि आप अपने मोबाइल नंबर की तरह इस आईडी को भी आसानी से याद रख सकेंगे।
इसी प्रकार अब विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, पासपोर्ट की बुकलेट पर आखिरी पन्ने पर अब धारक के पते की डिटेल्स नहीं अंकित होगी। इसके स्थान पर एक बारकोड होगा, जिसको स्कैन करके अधिकारी को धारक की जानकारी मिल जाएगी।
बताया गया है कि आधार सुरक्षा को लेकर आधार अथॉरिटी की तरफ से यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया है, जिसमें आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी चोरी होने की बात सामने आई थी।अंग्रेजी अखबार, द ट्रिब्यून ने एक तहकीकात की थी, जिसमें इस तरह की बातों का खुलासा हुआ। ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में ये सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया।
दरअसल, उनकी तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा, जिसके बाद एजेंट ने मात्र 10 मिनट में एक
गेटवे और लॉग-इन पासवर्ड दिया। उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई. इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया, इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था।

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