अद्भुत क्षण ! सारनाथ में जर्मन राष्ट्रपति ने देखा वौद्ध शिल्प का नजारा, किया भगवान वुद्ध की अस्थियों के दर्शन तो शाम में देखा मां गंगा की भव्य आरती

वाराणसी (उत्तर प्रदेश),22 मार्च 2018 । जर्मन के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइन मायर अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसीके बाबतपुर एयरपोर्ट से सीधे सारनाथ पहुंचे।भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे। म्यूजियम में भगवान बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों के रूप में बौद्ध शिल्प का अद्भुत नजारा देख राष्ट्रपति स्टाइन मायर अचम्भित हो गए। राष्ट्रपति स्टाइन मायर ने म्यूजियम में बौद्ध कलाकृति से जुडी कलाओं को देखने के उपरांत वे बौद्ध मंदिर पहुंच भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन किया। वहां अशोक स्तम्भ
के बारे में कहा गया है कि इन स्तंभों को सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल (तीसरी शताब्दी) में निर्मित कराया था। इन भारी भरकम स्तंभों को चुनार में बनाया गया था और फिर इसे सारनाथ लाया गया था। आज शिलालेख के साथ सारनाथ का अशोक स्तंभ सबसे प्रसिद्ध है। इन स्तंभों में चार शेर एक के पीछे एक बैठे हुए हैं। आज इसे भारत के राष्ट्रचिह्न के रूप में अपना लिया गया है। यह चार शेर शक्ति, शौर्य, गर्व और आत्कविश्वास के सूचक हैं। स्तंभ के ही निचले भाग में बना अशोक चक्र आज राष्ट्रीय ध्वज की शान बढ़ा रहा है।
सारनाथ के भ्रमण के बाद राष्ट्रपति विश्राम हेतु ताज होटल चले गये | संध्या समय उन्होंने मां गंगा के दर्शन किये। इस अवसर पर गंगा घाट की माला फूल से भव्य सजावट की गई थी । 9 वैदिक ब्राह्मण द्वारा माँ गंगा की विशेष महाआरती हुई।इनके पीछे रिद्धि-सिद्धि के रूप में 18 कन्याए उपस्थित थी।पूरा नजारा अद्भुत था। दशाश्वमेध घाट छोटी देव दीपावली जैसा प्रतीत हुआ। आरती में उपस्थित देशी व विदेशी पर्यटक आज की आरती देखकर भावविभोर हो गए। जब गंगा सेवा निधि के अर्चकों द्वारा झाल आरती उठाई गई तो राष्ट्रपति ने भावविभोर हो गये और उनके मुख से निकला – सो वंंडरफुल। संस्था के सचिव सुरजीत कुमार सिंह से वार्ता में महामहिम राष्ट्रपति जी ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे अफसोस है कि मैं अभी तक यहाँ की आरती देखने क्यों नही आया। संस्था द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी का रुद्राक्ष की माला व अंगवस्त्रम देकर स्वागत श्यामलाल सिंह ने किया। पंडित इन्दु शेखर शर्मा द्वारा 21 पेज की संग्रहित फ़ोटो दी गयी, जिसमे काशी.घाट एवं गंगा सेवा निधि से सम्बंधित अद्भुत तस्वीरों के माध्यम से उन्हें काशी दर्शन कराया गया। श्री सुरजीत कुमार सिंह द्वारा विशेष तरीके का बना स्मृति चिन्ह भेट की गई। संपूर्ण आरती का परिचय संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्र द्वारा उनके साथ बैठकर दिया गया।

अपने एक दिवसीय प्रवास पर गुरुवार की देर शाम दिल्ली वापस लौटने से पूर्व जर्मन राष्‍ट्रपति फ्रैंक वाल्‍टर स्‍टाइन मायर ने वाराणसी की विश्‍व प्रसिद्ध गंगा आरती के दृश्य से पूर्व अस्‍सी से दशाश्‍वमेध तक नौका विहार भी किया। विजिटर बुक में स्‍टाइन मायर ने काशी यात्रा से जुड़ी अपनी भावनाएँ व्यक्त की।गंगा सेवा निधि के विज़िटर बुक में स्‍टाइन मायर ने लिखा है

”we Are deeply impressed by this wonderful ceremony. Thank You to much for your hospitality”

आपकी मेहमाननवाजी के लिए बहुतबहुत धन्‍यवाद, इस लाजवाब समारोह (गंगा महाआरती) ने हमें गहरे तक प्रभावित किया।

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