सावधान ! सम्भल कर खरीदे फल

लखनऊ(उत्तर प्रदेश),9 मार्च 2018।फल आदि काल से ही मानव का पसंदीदा भोज्य पदार्थ रहा है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर फल स्वास्थ्य के लिए सदैव लाभदायक रहे हैं क्योंकि इनसे शरीर को मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर तथा खनिज पोषक तत्वों की भी पूर्ति होती है। ये फल शरीर के लिए तभी लाभदायक होते हैं जब यह प्राकृतिक तरीके से स्वयं पके हो या फिर इन्हें नैसर्गिक तरीके से बगैर रासायनिक प्रक्रियाओं के पकाया गया हो।

रासायनिक यौगिकों का प्रयोग कर पकाये गये फल काफी हानिकारक होते हैं फिर भी दुकानदार कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के फेर में इन्हीं रासायनिक पदार्थों का उपयोग कर फलों को पकाकर ग्राहकों में धीमा जहर परोस रहे हैं। इन से अनभिज्ञ जनता इन फलों को सेहतमंद मानकर इनका उपयोग कर रही है तो वहीं व्रत तथा त्योहारों में श्रद्धालुओं द्वारा इनका भरपूर उपयोग किया जाता है।
फल बाजारों में आम, पपीता, केला सहित अनेकों प्रकार के फलों को कृत्रिम ढंग से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। कार्बाइड से पके फल स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक तथा फास्फोरस होता है जो वातावरण की नमी से क्रिया कर हानिकारक एसिटिलीन गैस उत्पन्न करता है।सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे हम कार्बाइड गैस के नाम से जानते हैं। इसकी तीव्र उष्मा के कारण फल अतिशीघ्र पक जाते हैं और उसमें अत्यधिक उष्मा संग्रहित हो जाती है। इसके सेवन से आंत,लीवर,मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र तथा फेफड़ों पर बुरा असर होता है। प्रिवेंशन आफ फुड एण्ड एडल्ट्रेशन अधिनियम 1955 की धारा 44 ए ए के अनुसार फलों को कैल्शियम कार्बाइड (एसिटिलीन गैस) से पकाना जुर्म घोषित किया गया है परंतु आज भी इसी कार्बाइड का उपयोग कर धड़ल्ले से फलों को पकाया जा रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि फल खरीदने से पूर्व हम इनको अच्छी तरह परख लेें। यदि ध्यान से सावधानी बरती जाए तो इसका पता चल जाता है।
उदाहरण के तौर पर देखें यदि केले प्राकृतिक तरीके से पके होंंगे तो उसका डंठल काला होगा तथा केले का रंग गर्द पीला होगा और केले पर छीट पूट काले दाग धब्बे भी होंगे। यदि केले को कारबाइड के इस्तेमाल से पकाया गया होगा तो केले का रंग लेमन यलो (नींबुई पीला) होगा और उसका डंठल हरा होगा तथा केले का रंग साफ पीला होगा। उसमें कोई दाग धब्बे नहीं होगें ।

नीचे दिए गये फोटोज को देखकर इसे आप आसानी से समझ सकते हैं।

कारबाइड आख़िर क्या है ?
कार्बाइड का पूरा नाम कैल्शियम कार्बाइड है।यह एसिडिक रासायनिक यौगिक है जो वातावरण की नमी से क्रिया कर एसीटिलीन गैस बनाता है जिससे तीव्र गर्मी उत्पन्न होती है। यदि कारबाइड को पानी में मिलाएँगे तो उसमें से उष्मा (गर्मी) निकलती है और हानिकारक एसीटिलीन गैस का निर्माण होता है जिससे गैस कटिंग इत्यादि का काम लिया जाता है अर्थात इसमें इतनी कॅलॉरिफिक वैल्यू होती है कि उससे एल.पी .जी. गैस को भी प्रतिस्थापित किया जा सकता है।जब किसी केले के गुच्छे को ऐसे केमिकल युक्त पानी में डुबाया जाता है तब उष्णता केलों में उतरती है और केले पक जाते हैं। इस प्रक्रिया को उपयोग करने वाले व्यापारी इसका अनिर्बाध प्रयोग करते हैं जिससे केलों में अतिरिक्त उष्णता का समावेश हो जाता है।जब हम इन्हें सेवन करते हैं तो वह उष्णता हमारे पेट में आ जाती है।लगातार ऐसे फलों के सेवन से पाचन्तन्त्र में खराबी , आखों में जलन , छाती में तकलीफ़ , जी मिचलाना , गले में जलन , आंतों में घाव व अल्सर के साथ ही साथ ट्यूमर का निर्माण भी हो सकता है। इसीलिए आग्रह है कि इस प्रकार के पकाये फलों का बहिष्कार किया जाए । यदि कारबाइड से पके केलों और फलों का हम संपूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे तो ही हमें नैसर्गिक तरीके से पके स्वास्थ्यवर्धक फल बेचने हेतु व्यापारी बाध्य होंगे अन्यथा हमारे स्वास्थ्य को खतरा सदैव बना रहेगा ।

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