शाबाश! सुरहा की ज्योति ने मध्य प्रदेश में लहराया परचम

गाजीपुर(उत्तर प्रदेश),5 मार्च 2018। सच्ची लगन, कठिन परिश्रम, विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह कहना है जिले के सेवराई तहसील क्षेत्र के सुरहा गांव निवासी मध्यप्रदेश के सीहोर जिला के सिविल जज के पद पर आरुढ़ ज्योति चतुर्वेदी का। जिले के भदौरा क्षेत्र पंचायत के प्रथम ब्लाक प्रमुख रहे स्व.चतुर्भूज चौबे की सुपौत्री ज्योति चतुर्वेदी ने 27 वर्ष की उम्र में पीसीएस जे 2016 की परीक्षा उत्तीर्ण कर सीहोर जिले में सिविल जज बन अपने परिवार व क्षेत्र सहित जिले का नाम रोशन किया है। सिविल जज बनने के बाद रविवार चार मार्च को ज्योति चतुर्वेदी के पहली बार गांव पहुंचने पर ग्राम प्रधान प्रद्युम्न चौवे ने स्मृति चिन्ह देकर हौसलाअफजाई की तो ग्रामवासियों ने उनका स्वागत कर अभिभूत कर दिया।उन्होंने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने दादा को देते हुए बताया कि दादाजी ने सदैव मेहनत के बल पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनके विश्वास का ही नतीजा है कि मैं अपने लक्ष्य तक पहुंच सकी।उन्होंने बताया कि भोपाल से 2005 में हाईस्कूल और 2007 में इंटरमीडिएट करने के उपरांत भोपाल के ला यूनिवर्सिटी से 2012 में एलएलबी और फिर 2014 में नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल से एलएलएम की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्होंने दो साल कड़ी मेहनत के बाद अपने तीसरे प्रयास में 2016 की पीसीएस जे परीक्षा में कामयाबी पायी और फिर इन्होंने 30 दिसंबर 2017 को मध्य प्रदेश के सीहोर जिला के सिविल जज एवं मजिस्ट्रेट के पद पर पदभार ग्रहण कर लिया।ज्योति चतुर्वेदी का मानना है कि आज भी महिलाएं अपने अधिकार के प्रति पूरी तरह जागरूक नही हो पायी हैं जिसके चलते वे उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने तथा महिला अपराधों पर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की वकालत की ताकि महिलाएं भी आत्मविश्वास के साथ समाज में अपना यथोचित स्थान बनाकर समाज को दिशा दे सके।उनका कहना है कि यदि उन्हें उचित मौका मिला तो वे महिलाओं के हक व अधिकार के लिए कार्य करेंगी। उल्लेखनीय है कि ज्योति के पिता जगत मोहन चतुर्वेदी भोपाल के विशेष न्यायाधीश के पद पर कार्यरत हैं।अपने तीन भाई बहनों में ज्योति चतुर्वेदी सबसे बड़ी है। इनसे छोटे भाई रंजन चतुर्वेदी इंजीनियरिंग की तो उनसे छोटे भाई रवि चतुर्वेदी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे हैं।

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