निजी स्वार्थ से उपर उठकर ग्राम प्रधानों ने दी विकास को गति
गाजीपुर। ग्राम पंचायतों के विकास हेतु शासन द्वारा विभिन्न मदों में धनराशि उपलब्ध कराकर गांव का आधुनिकीकरण कराया जा रहा है। इस कार्य में ग्राम पंचायत की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जनपद के अनेकों ग्राम प्रधानों के विरुद्ध विकास कार्यों में अनियमित तथा धन उगाही की शिकायतें मिलती रहती हैं। कई ग्राम प्रधान गांव के विकास कार्यों की जांच में दोषी भी पाये जा चुके हैं और कई प्रधानों के विरुद्ध जांच के कार्यवाही जारी भी है। इसके बावजूद आज भी जनपद के कुछ ऐसे भी ग्राम प्रधान है जिन्होंने अपने गांव के सर्वांगीण विकास के लिए सरकारी धन के अतिरिक्त अपना अतिरिक्त सहयोग दे कर गांव की समृद्धि में चार चांद लगाने में जुटे हुए हैं। ऐसे ग्राम प्रधानों को प्रशासन तथा जनता का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। जिले के चार ग्राम प्रधानों ने अपने ग्राम पंचायतों में ऐसा कार्य कराया है जो आने वाले दिनों में मिशाल बनेगी। अगर हम करंडा विकास खंड की बात करें तो लोगों के आवागमन के लिए रास्ते की समस्या को देखते हुए जमुआंव के ग्राम प्रधान अंकेश सिंह ने अपनी निजी एक बिस्वा जमीन को दान करके समाज के सामने नेकदिली की एक मिसाल कायम की है। उनकी दी गयी जमीन से होकर ही सार्वजनिक रास्ता बना और उस पर खड़ंजा लगवाया। इससे ग्रामीणों को आने जाने में काफी सहूलियत हो रही है। इसी क्रम में करंडा विकास खंड अंतर्गत धरम्मरपुर ग्राम सभा के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि डॉ अवधेश यादव विकास कार्यों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। गत वर्ष गंगा के बाढ़ से जब पानी तेजी से बढ़ने लगा तो ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने तत्परता दिखाते हुए अल्प समय में ही एक लम्बा बांध बनवाया। इस बांध की वजह से उनके गांव के साथ ही साथ लगभग बीस गांव बाढ़ से सुरक्षित हो गये। वहीं करंडा विकास खंड अंतर्गत कटरिया ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने अपने गांव में हाईटेक पंचायत भवन निर्मित कराकर अन्य प्रधानों के सामने एक मिशाल कायम किया है। भव्य बने पंचायत भवन को देखकर ही अंदाजा हो जाता है कि प्रधान की कर्मठता का पता लग जाता है। फाइव स्टार होटल की तरह दिखने वाला पंचायत सचिवालय तक पहुंचे लोग वगैर उसकी तारीफ किए नहीं रह पाते। इसी प्रकार ग्राम पंचायत में सरकारी जमीन न होने के बावजूद करंडा विकास खंड अंतर्गत पुरैना गांव के ग्राम प्रधान ने अपने प्रयास से बहुद्देशीय पंचायत भवन बनवाकर गांव को समर्पित किया। बताया गया कि जब सेना से रिटायर होकर विनोद राय प्रधान बने तो उनके सामने सचिवालय का निर्माण करवाना आवश्यक था। इसके लिए उन्होंने एक निजी जमीन को पंचायत भवन के नाम से लिया जिस पर पंचायत भवन बनाया गया। अब विरोधियों का मुंह बंद है और ग्रामीण पंचायत भवन का लाभ ले रहे हैं।
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