मनुष्यता है सबसे बड़ा धर्म – माधव कृष्ण

गाजीपुर। श्री गंगा आश्रम द्वारा आयोजित मानव धर्म प्रसार व्याख्यान माला बकुलियापुर शाखा में संपन्न हुआ। सभा का शुभारम्भ सद्गुरु परमहंस बाबा गंगारामदास की सर्वधर्मसमभाव प्रार्थना से हुआ।

       मुख्य वक्ता माधव कृष्ण ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट किया कि, “मानव धर्म मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का एक साधन है जहाँ जाति और धर्म की विभिन्नताओं में भी केवल मनुष्यता को सर्वोपरि रखने का सूत्र दिया गया है। हम एक दूसरे से इसलिए विद्वेष करते हैं क्योंकि हम अपने आप को औरों से अलग मानते हैं। हम भाषा के नाम पर लड़ते हैं लेकिन एक माँ कभी अपने नवजात शिशु से नहीं लड़ती जबकि उन दोनों की भाषाएँ न केवल अलग-अलग होती हैं, बल्कि एक दूसरे की समझ में भी नहीं आती हैं। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि माँ ने अपने बच्चे को कभी अपने से अलग नहीं समझती है। हम जाति के नाम पर लड़ते हैं लेकिन अलग प्रजातियों के होने के बाद भी एक कुत्ता कभी अपने स्वामी से नहीं लड़ता क्योंकि वह अपने मालिक से प्रेम करता है।”

“हमने धर्म को कर्मकाण्ड और आडम्बरों में बाँध रखा है। आजकल का धर्म पराये धर्म वालों का गला काटना सिखा रहा है। आवश्यकता उस धर्म की है जो मनुष्य को प्रेम सिखाता है। प्रेम ही सबसे बड़ा धर्म है। जब हम अपने आस-पास के लोगों को सहजता से वैसे ही स्वीकार करेंगे जैसे अपने परिवार और बच्चे को करते हैं, तब हमारे मन से अपने-पराये की भावना समाप्त होगी और उसी दिन से हमारी अंतर्यात्रा प्रारम्भ होगी। मानव धर्म इसी अंतर्यात्रा का नाम है.”

          विशिष्ट वक्ता अवधेश यादव ने कहा कि, “यह जीवन संसार में व्यर्थ करने के लिए नहीं मिला है। यदि हमारे पास कोई उद्देश्य नहीं है तो हमें अपने गुरु के वचनों को ही जीवन का उद्देश्य बना लेना चाहिए। आजकल लोग एक दूसरे से नहीं मिलते हैं। मानव धर्म की साप्ताहिक शाखाओं में लोगों को मिल बैठकर एक दूसरे की बात सुननी चाहिए, सत्संग करना चाहिए, और गाँव समाज की समस्याओं पर चर्चा करना चाहिए. गाँव में आ रही समस्याओं और पारस्परिक विद्वेष का मिल-जुलकर निराकरण करना चाहिए ताकि गाँव पुनः स्वर्ग के रूप में स्थापित हो सकें।”

       कार्यक्रम का समापन आश्रम की प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम में वीरेन्द्र, अजय, अनिरुद्ध, तेज बहादुर, सत्यम के अतिरिक्त सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित रहे।

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