करवा चौथ – सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा चंद्रमा का पूजन

इस साल करवा चौथ के दिन 100 साल के बाद बन रहा है महासंयोग 

वाराणसी। पति की दीर्घायु हेतु सुहागिन महिलाओं द्वारा सुख, समृद्धि और अखण्ड सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। उस दिन कार्तिक संकष्टी चतुर्थी होती है, जिसे वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत में महिलाओं द्वारा सोलह श्रृंगार कर चन्द्रोदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य देना जरूरी है। इस दिन देवाधिदेव महादेव, माता पार्वती, कार्तिकेय और विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजा करने के साथ ही सिद्धिविनायक के मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे. शादीशुदा जीवन खुशहाल होगा। करवा चौथ की पूजा पूरे विधि विधान से करना चाहिए। इससे संबंधित वामन पुराण में वर्णित कथा का श्रवण करना चाहिए। पूजा की थाली में मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कलश,चंदन, फूल, फल, हल्दी, चावल, मीठा, कच्चा दूध, दही, देशी घी,शहद,  शक्कर का बुरा, रोली, कुमकुम, मौली आदि सामग्री आवश्यक है। करवा में जल भरकर सौभाग्य व समस्त श्रृंगार सामग्री थाली में सजा कर रखी जाती है। व्रती महिलाएं अपने पारिवारिक परंपरा व धार्मिक विधि विधान के अनुसार रात में चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ देकर उनका पूजन अर्चन कर चलनी में चंद्रमा को देख उनकी आरती उतारती हैं। वे परिवार में अपने वरिष्ठ जनों,सास ससुर, जेठ व अन्य श्रेष्ठ जनों को उपहार देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

         इस बार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 01 नवंबर बुधवार को रात 09 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी। चंद्रोदय रात्रि 8:05 पर होगा। देश के विभिन्न भागों में सूर्योदय, सूर्यास्त तथा चंद्रोदय के कारण भिन्न-भिन्न हो सकता है।उदयातिथि और चतुर्थी के चंद्रोदय के आधार पर करवा चौथ व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा।

      इस वर्ष करवा चौथ के दिन 100 साल के बाद एक महासंयोग बन रहा है। दरअसल, 100 साल के बाद मंगल और बुध एक साथ विराजमान होंगे, उसकी वजह से बुध आदित्य योग बन रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।

          ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार यह व्रत सबसे पहले शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। इसके अलावा कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य होता है।         बताया जाता है कि पति-पत्नी के आपसी प्रेम और विश्वास को बढ़ाने या बरकरार रखने के लिए एक रेशमी कपड़े में पचास ग्राम पीली सरसों और 2 गोमती चक्र डालें। इसमें एक छोटे से सफेद कागज पर अपने पति का नाम लिख दें। दूसरे कागज पर अपना नाम लिखें‌। कपड़े में ये कागज को भी रखकर अच्छी तरह से बांध दें। इसे वहां रख दें, जहां किसी की भी नजर पूरे साल ना पड़े। इस पोटली को अगले साल करवा चौथ पर ही खोलें। ऐसा करने से महिला का दांपत्य जीवन मजबूत होगा, विश्वास व आपसी प्रेम बढ़ेगा।

      करवा चौथ के दिन अपनी शादीशुदा जिंदगी में आई किसी भी समस्या को दूर करने के लिए गाय को 5 केले, बेसन के 5 लड्डू और 5 पेड़े खिलाएं. अपनी समस्या को दूर करने के लिए गाय की पीठ सहलाएं और प्रार्थना करें। इससे आपके वैवाहिक जीवन में मौजूद परेशानी कम हो जाएगी। आपसी प्रेम और विश्वास भी बढ़ेगा।

         

      

     

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