महंगी पाठ्य पुस्तकों से निजात दिलाने की उठी मांग 

गाज़ीपुर। नए शिक्षा सत्र के आरम्भ होने के साथ ही साथ छात्र छात्राओं तथा अभिभावकों के पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं। प्रदेश सरकार के निर्देश के बावजूद प्राइवेट स्कूल अनावश्यक रूप से महंगी किताबों का बोझ अभिभावकों पर डालने लगे हैं।

      इस परेशानी से बचने के लिए दिल्ली सरकार ने उन प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो विद्यार्थियों के अभिभावकों को विशेष दुकानों से ही महंगी किताबें और स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल या तो अभिभावकों को खास विक्रेताओं से ही महंगी किताबें एवं स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य करना बंद करें या फिर दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

              उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पाठ्य क्रमों में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से स्कूली शिक्षा के लिए एनसीईआरटी की गुणवत्ता युक्त पुस्तकों को कम मूल्य पर प्रकाशित कराकर सभी विद्यालयों को अपनी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहा था। वे ज्ञानवर्धक पाठ्य पुस्तकें काफी अच्छी और सस्ती हैं। उनके आने से अभिभावकों को आश जगी थी कि अब उन्हें महंगी पुस्तकों के अनावश्यक बोझ से छुटकारा मिल जाएगा।

       अब नये सत्र के आरम्भ होने पर, प्राइवेट स्कूल प्रशासन, शासकीय निर्देशों को धता बताते हुए अपने मनचाहे प्रकाशकों की मनचाही पुस्तकों को महंगे दाम पर अपनी विशेष दुकान से लेने के लिए छात्रों अभिभावकों को बाध्य कर रहे हैं। जहां सरकार द्वारा जारी किताब 65 रुपए की मिल रही है, वहीं अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें  400 रुपए तक की हैं।

       बताते चलें कि जिले में संचालित सैकड़ों की संख्या में प्राइवेट स्कूल हैं जो अपनी विशेष दुकान से पाठ्यपुस्तक व ड्रेस खरीदने के लिए छात्र व अभिभावकों को बाध्य करते हैं। मजबूरन अभिभावकों को स्कूलों की मनमानी को न चाहते हुए भी स्वीकार करना पड़ रहा है।

                आर्थिक तंगी की मार झेल रहे    अभिभावकों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ऐसे स्कूलों पर प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।

Views: 63

Leave a Reply