सद्गृहस्थ के मन में गौ, गंगा, गीता, गायत्री और गांव के प्रति आदर भाव आवश्यक 

गाजीपुर। मासपर्यन्त चले पारंपरिक रामहित कार्यक्रम को सम्पादित करने के उपरान्त प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज अपने शिष्यों,वैदिक विद्वानों तथा संत महात्माओं संग सिद्धपीठ पहुंचे। मासपर्यन्त चले रामहित कार्यक्रम में महाराज श्री ने गांव गांव प्रवास करके आहार विहार, विचार की शुद्धि के लिए भगवत चिंतन, भावभजन,आरती पूजन की विधि तथा महत्ता बताने के साथ सद्गृहस्थ बनने की अवश्यकता पर बल दिया। महाराज श्री ने कहा कि एक सद्गृहस्थ के मन में गौ, गंगा, गीता, गायत्री और गांव के प्रति आदर भाव होना चाहिए। अपने प्रवचनों के माध्यम से जनजागरण करते हुए उन्होंने माता, पिता, गुरू सहित राष्ट्र एवम् समाज के प्रति दयित्व हेतु सचेष्ट करने का प्रयास किया। मनिहारी से सिद्धपीठ प्रस्थान करते हुए उन्होंने कहा कि वयम राष्ट्रे जाग्रेयाम पुरोहिताः के मंत्र को आत्मसात् करते हुए हम सन्त महात्मा लोगों को जगाने का काम करते हैं। सन्त महात्मा भी भाव भजन के साथ इस राष्ट्र के लिए जीते हैं।

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