अस्त हुआ साहित्यिक सितारा, महाकाव्य लोरिकायन के रचयिता प्रो श्याम मनोहर पाण्डेय ने त्यागा नश्वर शरीर

बलिया। आध्यात्मिक व साहित्यिक विरासत संजोए और पतीतपावनी गंगा के जल से सिंचित विद्वानों की पवित्र भूमि बलिया के गोठहुली के लाल भोजपुरी लोरिक के रचयिता, विश्व हिन्दी सम्मेलन से सम्मानित प्रो श्याम मनोहर पाण्डेय का 86 वर्ष की अवस्था में दोपहर बाद लन्दन में निधन हो गया। यह जानकारी उनके छोटे भाई द्वारा दूरभाष से प्राप्त हुई। वर्ष 1936 में जन्में प्रो. पाण्डेय साहित्य जगत के ज्योतिपूँज थे। उन्होनें बलिया के सतीश चंद्र कॉलेज से मैट्रिक, इलाहबाद विश्वविद्यालय से बीए, एमए तथा डी एफ की उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। अपनी योग्यता के बल पर वे सन् 1962 से 1965 तक शिकागो विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे तो वहीं सन् 1965 से 1967 तक अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डियन स्टडीज़ (फिलाडेल्फया) के सीनियर फेलो रहे। सन् 1968 से 1975 तक लंदन विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ ओरियंटल एण्ड अफ्रीकन स्टडीज़’ में मध्ययुगीन साहित्य के प्राध्यापक रहे।
वे वर्ष 1976 में शिमला के ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़’ के विज़िटिंग फेलो बने। पूना विश्वविद्यालय पूना, पेविंग विश्वविद्यालय, चीन तथा विसकांसिन युनिवर्सिटी, मैडिसन, अमेरिका में भी विज़िटिंग, मैडिसन, अमेरिका में भी विज़िटिंग प्रोफेसर के रूप में काम किया।
आपकी प्रतिभा का आकलन इसी से होता है कि आपको लंदन में आयोजित 1999 ई. में विश्व हिन्दी सम्मेलन द्वारा सम्मानित किया गया। आपको सन् 2000 में कानपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि, साहित्य अकादमी, दिल्ली से ‘भाषा सम्मान’ तथा उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ से साहित्य भूषण’ सम्मान से विभूषित किया गया। साहित्य-सेवा के रूप में मध्य-युगीन प्रेमाख्यान, सूफी काव्य विमर्श, सूफ़ी मंसूर हल्लाज की बानी, हिन्दी और फ़ारसी सूफ़ी काव्य, लोक महाकाव्य लोरिकी, लोक महाकाव्य चनैनी, लोक महाकाव्य लोरिकायन, भोजपुरी लोरिकी, भोजपुरी लोरिकी भाग-2, चंदायन (रचयिता मौलाना दाऊद), सूफ़ी काव्य अनुशीलन के साथ ही साथ हिन्दी की मान्य शोध पत्रिकाओं के अन्य भाषी पत्र पत्रिकाओं में लेखन किया। प्रो• श्री पाण्डेय का सतीश कॉलेज से आत्मीय सम्बंध था जब भी बलिया आते महाविद्यालय में जरुर आते और शिक्षकों के साथ साथ विद्यार्थियों से रुबरु होते उन्हें लोक साहित्य के लिए प्रेरित करते।
प्रो• पाण्डेय के आकस्मिक निधन से साहित्य के क्षेत्र में आयी रिक्तता का भर पाना मुश्किल है। उनके निधन की सूचना से आहत हो सतीश महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो• श्रीपति कुमार यादव जी ने आत्मीय संवेदना व्यक्त करते हुए शोकाकुल परिवार को दूरभाष द्वारा सांत्वना व्यक्त किया तथा महाविद्यालय परिवार ने विनम्र आत्मीय श्रद्धाजलि अर्पित की।

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