उत्तम विचारों से निखरता है व्यक्तित्व, मिलती है सकारात्मक ऊर्जा -महामण्डलेश्वर

पूजन के साथ संपन्न हुआ अनुष्ठान , विशेष प्रसाद पाकर निहाल हुए श्रद्धालु भक्तजन

गाजीपुर। प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विजयादशमी के अवसर पर पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानी नन्दन यति जी महाराज ने शस्त्र, शास्त्र व शमी पूजन परम्परानुसार पूर्ण किया।

पीठाधीश्वर यति जी महाराज ने प्रमुख यजमान जंगीपुर विधायक डॉ. वीरेन्द्र यादव व अन्य श्रद्धालु भक्तों के साथ सिद्धेश्वर महादेव तथा शमी वृक्ष की परम्परागत पूजन किया।
पूजनोपरांत पीठाधीश्वर ने माता वृद्धाम्बिका (बुढ़िया माई) को भोग लगाये गये हलवा-पूड़ी का महाप्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया। रिमझिम बरसात के बीच श्रद्धालुजन पूरे कार्यक्रम में डटे रहे।
उल्लेखनीय है कि एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल का रूप ले चुके सिद्धपीठ हथियाराम की आराध्य भगवती बुढ़िया माई (वृद्धाम्बिका देवी) के दरबार में शारदीय नवरात्र पर्यन्त चले शतचण्डी यज्ञ-जप व धार्मिक अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ दशहरा के दिन सदियों से चली आ रही परम्परानुसार सम्पन्न हुआ।
सिद्धपीठ के 26वें पीठाधिपति महामण्डलेश्वर भवानीनंदन यति ने वैदिक विद्वजनों के साथ प्रातः काल से ही हरिहरात्मक पूजन, शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन व ध्वज पूजन के बाद शक्ति की प्रतीक व सिद्धपीठ की आराध्य भगवती बुढ़िया माई की पूजा कर परम्परागत पवित्र हलुआ पूड़ी का भोग लगाया। इसके बाद श्रद्धालुओं के समूह के साथ सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर भगवान सिद्धेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक द्वारा शिवपूजन, पवित्र शमी वृक्ष की पूजा की गयी।
श्रद्धालु भक्तजनों को सम्बोधित करते हुए स्वामी भवानीनन्दन यति ने कहा कि अति प्राचीन सिद्ध संतों की तपस्थली सिद्धपीठ अध्यात्म जगत में तपोभूमि के रूप में विख्यात है। अमृतमयी बुढ़िया माई की कृपा व सिद्ध संतों के तप से आज यहां की माटी भी अमृत के समान हो गयी है। यहां के सिद्ध संतों के ज्ञानरूपी प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत आलोकित है। मैं स्वयं इस पीठ के माटी की सेवा का अवसर प्राप्त कर अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने दशहरा के अवसर पर लोगों से अपने अंदर छिपी बुराइयों का परित्याग कर सत्य आचरण करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि जीवन मे हमेशा उत्तम विचारों को धारण करना चाहिए क्योंकि विचारों का सीधा प्रभाव हमारे व्यक्तित्व, जीवन के निर्माण एवं ऊर्जा पर पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रबल होने से हम किसी भी कार्य को पूरी लगन एवं तन्मयता के साथ पूरा कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने पद व कद से नहीं बल्कि विचारों की पवित्रता से महान बनता है। उन्होंने कहा कि नैतिकता के पतन का मूल कारण विचारों में पवित्रता का अभाव है। यदि हमारे विचार में पवित्रता का वास हो तो भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। उन्होंने कहा कि रावण बड़ा विद्वान था लेकिन विचारों में पवित्रता ना होने की वजह से हजारों वर्ष बाद भी हर साल रावण को जलाया जाता है। वहीं विचारों की पवित्रता से शबरी माता व जटायु भी पूजे जाते हैं।
विशिष्ट अतिथि घनश्याम शाही क्षेत्रीय संगठन मंत्री अभाविप ने कहा कि विजयादशमी के दिन हम अपने अंदर बैठे रावण रूपी विचारों का दहन करें जिससे स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके। उन्होंने सिद्धपीठ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैकड़ों वर्ष की प्राचीन परंपरा अनुसार आज श्रद्धालुओं को पीठाधीश्वर का जो पाथेय प्राप्त होता है उसका अनुसरण कर हम अपने जीवन को मंगलमय बनाते हैं।
अंत में महामंडलेश्वर स्वामी ने प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बुढ़िया मां को चढ़ा हलवा पूरी का प्रसाद, वनवासी समुदाय द्वारा बनाए गए पत्तल में लपेटकर श्रद्धालुओं में वितरित किया। उस प्रसाद को पाने के लिए हजारों भक्त कतारबद्ध रहे। इस अवसर पर शतचंडी महायज्ञ के मुख्य यजमान जंगीपुर विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव, उनकी पत्नी डॉ. विभा यादव, ब्रह्मचारी सन्त डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, संत देवरहा बाबा, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, प्रोफेसर सानन्द सिंह, जितेंद्र सिंह वैभव, राजन पाण्डेय, संतोष यादव, अंकित जायसवाल, डॉ सन्तोष मिश्रा, आनन्द मिश्रा, राजेश राजभर, डा. सुश्री अमिता दूबे, रिंकू सिंह, लवटू प्रजापति समेत हजारों श्रद्धालु जन उपस्थित रहे। हथियाराम कन्या महाविद्यालय की छात्राओं तथा स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम सम्पादन में सराहनीय योगदान दिया।

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