आन्तरिक शक्तियों को जागृत करने का पर्व है नवरात्रि

गाजीपुर। जगत जननी मां जगदंबा के पूजन अर्चन का महापर्व शारदीय नवरात्र सोमवार को भव्य पूजन अर्चन के साथ आरंभ हुआ। श्रद्धालु भक्तजनों ने अपने घरों में कलश स्थापित कर जहां मां जगदंबा की आराधना शुरू की, वहीं माता जगदंबा के पवित्र मन्दिरों, शक्तिपीठों में वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन अर्चन किया। मां के जयकारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा है। मां की मूर्तियों की स्थापना है पूजा पंडालों को भव्य रूप दिया जा रहा है।

इस अवसर पर, अध्यात्मिक जगत में तीर्थ स्थल का रूप ले चुके सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज ने यजमान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापित कर नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र महोत्सव का शुभारंभ किया। इस नवरात्र महोत्सव में वाराणसी के वैदिक विद्वानों द्वारा विधि विधान से हवन-पूजन एवं यज्ञ का कार्य सम्पादित हो रहा है। इस धार्मिक अनुष्ठान में पाठात्मक शतचण्डी महायज्ञ तथा हवनात्मक रुप में लक्ष्मीनारायण महायज्ञ किया जा रहा है। वैदिक मंत्रोच्चार की ध्वनियों तथा हवन पूजन से निकली मनमोहक गंध से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो रहा है।
श्रद्धालु भक्तों द्वारा मठ की अधिष्ठात्री देवी बुढ़िया माई व माता सिद्धिदात्री के दर्शन-पूजन का क्रम अनवरत चल रहा है। वहीं यज्ञ के हवन कुण्ड में पड़ रही आहुतियों के सााथ ही श्रद्धालु भक्तों द्वारा यज्ञ मण्डप की परिक्रमा भी जारी है। इसके साथ ही अनवरत चलने वाले विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया है।
पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि हमें नवरात्रि में व्रत रखकर भक्ति भाव से मां का पूजन अर्चन करना चाहिए। इससे हमें अपनी विकृतियों को त्याग कर सत्कर्मों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पूजा पाठ तथा मंत्रों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मंत्र में असीमित शक्तियों का भंडार है तो यज्ञ की आहुतियोंं में असीमित ऊर्जा समाहित है। जहां मंत्रों का जाप, पूजन तथा यज्ञ की आहुतियां होती हैं,वहां सकारात्मक शक्तियों का वास और नकारात्मक उर्जा का नाश होता है। शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से मन में उत्साह और नई ऊर्जा की वृद्धि तथा नव चेतना का संचार होता है। हवन तथा यज्ञ से जहां सकारात्मक शक्तियों का उदय होता है, वहीं आसपास का वातावरण भी शुद्ध व सात्विक हो जाता है।
नवरात्रि में नौ दिनों के व्रत और पूजन अर्चन से जहां शारीरिक व आंतरिक आत्मिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, वहीं शरीर के विकारों का नाश हो कर शरीर में नवचेतना का संचार होता है। महामण्डलेश्वर स्वामी यति जी ने कहा कि आदि शक्ति माँ दुर्गा की सच्चे हृदय से की गयी आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती है। वह सदैव लाभदायक होती है। संसार को चलाने के लिए शिव के साथ ही शक्ति की भी जरूरत है। नवरात्र में आदि शक्ति के अलग-अलग रूपों की पूजा-आराधना का विधान है। उन्होंने लोककल्याणार्थ आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का आह्वान किया।

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