वैदिक मंत्रोच्चार व हवन पूजन के साथ सम्पन्न हुआ चातुर्मास महानुष्ठान

इस पवित्र धाम पर आने वाले का बढ़ता है महत्व

गाजीपुर। जखनियां तहसील क्षेत्र के हथियाराम में स्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ में जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर व 26वें पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन द्वारा श्रावण प्रतिपदा से किए जा रहे 27वें चातुर्मास महानुष्ठान की पूर्णाहुति वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सनातनी विधिविधान व हवन पूजन के साथ भाद्र पद पूर्णिमा के अवसर पर महाभंडारा के साथ सम्पन्न हुआ।
उल्लेखनीय है कि अध्यात्म जगत में एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात लगभग साढ़े सात सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति द्वारा सिद्धपीठ की गद्दी पर आसीन होने के साथ ही अपने गुरुजनों की प्रेरणा व उनके मार्ग का अनुसरण करते हुए चातुर्मास अनुष्ठान का संकल्प लिया था।
पूर्णाहुति कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति महाराज ने अपने ब्रह्मलीन गुरु महामंडलेश्वर स्वामी बालकृष्ण यति महाराज के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर किया। समापन समारोह में उपस्थित वक्ताओं ने सनातन धर्म की विस्तृत जानकारी देते हुए राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से कार्य करने का आह्वान किया ताकि भारत एक बार फिर विश्वगुरु बन सके। वक्ताओं ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु ही वह शक्ति है जो हमें आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि ईश्वर रुठ जाये तो बहुत परेशान होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि गुरु की कृपा से ईश्वर को मनाया जा सकता। गुरु को रूठने नहीं देना चाहिए।

समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेशजी ने सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महाराजश्री को परम संत बताते हुए कहा कि उनका दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दुनियां के सबसे संगठन के मुखिया मोहन भागवत जी भी यहां आने व महाराजश्री का दर्शन पाने का इंतजार तीन वर्षों से कर रहे थे जो इस वर्ष पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल पर आने से इस स्थान का नहीं बल्कि आने वाले व्यक्ति का महत्व बढ़ जाता है। यह शक्तिपीठ अध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। साधना के केन्द्र इस मठ से जुड़ना राष्ट्र के जुड़ने का उपक्रम साधन है। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग नियमित रूप से देश के लिए प्रार्थना करते हैं। जिस देश में मातृभूमि के लिए प्रार्थना-बंदना होती हो वहीं से शक्ति ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक प्रेरणा देने वाली माताएं-बहने भी इस सिद्धपीठ से जुड़ी हैं। ऐसे में इस सिद्धपीठ से जुड़ना मेरे लिए गर्व की बात है।
पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनंदन यति महाराज ने चातुर्मास की व्याख्या करते हुए बताया कि चातुर्मास, सनातन वैदिक धर्म में आहार, विहार और विचार के परिष्करण का समय है। चातुर्मास संयम और सहिष्णुता की साधना करने के लिए प्रेरित करने वाला समय है। इसका सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है। इस दौरान तप, शास्त्राध्ययन एवं सत्संग आदि करने का तो विशेष महत्व है। चातुर्मास धर्म, परम्परा, संस्कृति और स्वास्थ्य को एक सूत्र में पिरोने वाला समय माना जाता है। चातुर्मास संयम को साधने का संदेश देता है। बढ़ती असंवेदनशीलता के समय में संयम की यह साधना और भी आवश्यक हो जाती है। संयमित आचरण से हम न केवल मन को वश में करना सीखते हैं, बल्कि हमें धैर्य और समझ भरा व्यवहार करना भी आता है। चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आरोग्य विज्ञान व सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हमारा कर्तव्य है कि जिस समाज में हम रह रहे हैं, उस समाज के लिए कुछ करें। उन्होंने कहा कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ स्थित मृणमयी बुढ़िया माई के पुण्य प्रताप से यहां की माटी चंदन से भी पवित्र है। इस पवित्र भूमि पर किए गए धार्मिक अनुष्ठान से मन को शांति मिलती है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रांत प्रमुख रामचंद्रजी, नाथ संप्रदाय गोरक्ष मठ रसड़ा के कौशलेंद्र गिरी, संत देवरहा बाबा, मौनी बाबा मठ कनुआन के महंत सत्यानंद महाराज, डा. रत्नाकर त्रिपाठी, डा मंगला सिंह व्यास, सन्तोष यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, पारसनाथ राय, राजेंद्र सिंह, श्रीमती मंजू सिंह, सुश्री डा. अमिता दूबे, डॉ. संतोष मिश्रा, केडी सिंह, हरिश्चन्द्र सिंह, डॉ. ए के राय, मयंक सिंह, आचार्य मनीष, महावीर प्रसाद, दुर्गा प्रसाद, आनंद मिश्रा, अटल सिंह, सतीश जायसवाल, लवटू प्रजापति सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित रहे।

Visits: 132

Leave a Reply