हिन्दू धर्म में गुरु को मिला है भगवान का दर्जा – महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज

गुरु पूर्णिमा- गुरु कृपा हेतु लगी रही भक्तों की भीड़

गाजीपुर। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर
मठों, मन्दिरों तथा गुरु आश्रमों पर भक्त व शिष्योंकी भीड़, गुरुदर्शन करने व आशिर्वाद पाने के लिए उमड़ती रही।
इस अवसर पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ, भुड़कुड़ा मठ और पलिवार मठ में दर्शन-पूजन हेतु शिष्य व भक्त समुदाय सहित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भक्तों ने श्रद्धा और समर्पण भाव से गुरु चरणों में शीश झुकाकर आशिर्वाद लिया। गुरु महत्ता पर भजन-कीर्तन और गायन शाम तक चलता रहा।

सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर आयोजित कार्यक्रम में सिद्धपीठ के परम पूजनीय पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामीश्री भवानी नन्दन यति जी महाराज ने सर्वप्रथम अपने ब्रह्मलीन गुरु महामंडलेश्वर स्वामी बालकृष्ण यति के चित्र के समक्ष पूजन-अर्चन किया। उसके बाद अपने शिष्य समुदाय को आशीर्वचन करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में गुरु का बहुत बड़ा योगदान होता है। कहते हैं कि गुरु के आशीर्वाद से मनुष्य अपने जीवन के कठिन से कठिन समय को पार कर लेता है। गुरु के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमारे शास्त्रों में एक दिन उनके नाम किया गया है, जिसे गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।
इस अवसर पर मठ पर आयोजित विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा के साथ महाप्रसाद ग्रहण किया गया। इस अवसर पर संत देवरहा बाबा, डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी, संत अभयानन्द गिरी, जंगीपुर विधायक बीरेंद्र यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष बृजेन्द्र राय, वाराणसी के डॉ. विजय नारायण राय, सुषमा राय, संतोष यादव, शशिकांत शर्मा, हरिश्चंद्र सिंह, कुंदन सिंह, मंगला सिंह, विपिन पाण्डेय, आनन्द मिश्रा, संतोष मिश्रा, कौस्तुभ, मनीष, लवटू प्रजापति सहित कन्या पीजी कॉलेज हथियाराम की शिक्षिका डॉ. अमिता दूबे, छात्राएं एवं बड़ी संख्या में महिलाएं तथा जनपद के साथ ही महाराष्ट्र, हल्द्वानी, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर, चंदौली सहित विभिन्न जनपदों से हजारों की संख्या में भक्त जन उपस्थित रहे।

इसी क्रम में बहरियाबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित पलिवार मठ पर जुटे भक्तों ने महंत स्वामी परमानन्द के साथ ही आदि गुरु भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजन अर्चन किया। वहीं सिद्धपीठ भुड़कुड़ा मठ में भक्तों ने महंत शत्रुघ्न दास का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पूर्व के महंतों की समाधि पर मत्था टेका। महंत शत्रुघ्न दास ने प्रेम, धैर्य, परोपकार, सत्य आदि सतमार्गों के जरिये ईश्वर प्राप्ति का रास्ता बताया। भक्तों ने गुरुओं को अंगवस्त्र, फूल-माला के साथ ही उपहार प्रदान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

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