नववर्षाभिनन्दन – हौशिला प्रसाद अन्वेषी

गया पुराना साल नया अब आया है।
साथ उम्मीदों को भी लेकर आया है ।।होगी जीत सत्य की कहता है वह।
उसने ही यह गीत सुबह में गाया है ।।

होगी जीत सत्य की कहता है वह।
उसने ही यह गीत सुबह में गाया है ।।

उम्मीदों को पंख लगेंगे उम्मीदों के ।
आशाओं ने आज हमें समझाया है।।

अब किसान के युग में हम जाएंगे ।
उसने ही भारत का मान बढ़ाया है ।।

अन्न दान करता है जी भर भरके ।।
सबने जीवनदान उसी से पाया है ।।

अब तो वह फासिज्म को मारेगा रण में।
सोलह आने यह अम्मीद जगाया है ।।

आज एकता के स्वर में उसने ही ।
हमको यह मंगल गीत सुनाया है ।।

नफरत का वह नाश करेगा क्षणभर में ।
कई बार वह करके यही दिखाया है।।

सद्विचार को पंख लगेंगे भारत में ।
संकेतों ने यह उत्साह जगाया है ।।

बड़ा अनर्गल झेल चुका है यह भारत ।
इसीलिए तो रण कौशल दिखलाया है।।

सड़ा गला सब त्याग उठा है, जागा है ।
मौसम भी उसका साथ निभाया है।।

आया है यह आया है यह आया है।
नया साल उम्मीदें लेकर आया है।।

गया पुराना साल नया अब आया है ।
साथ उम्मीदों को भी लेकर आया।।

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