अमृत महोत्सव – अपनी संस्कृति, स्वाभिमान को जागृति और वीरों को नमन करने का महापर्व

गाजीपुर। कृष्ण सुदामा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट मरदापुर सादात में आजादी के 75वीं वर्षगाठ के अवसर पर “स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम का समापन  भारत माता पूजन एवं सामूहिक बन्दे मातरम गायन के साथ ससमारोह किया गया।
   कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्वलित व पुष्प वर्षा कर किया गया। “पावन चिन्तन धारा” के संस्थापक डा. पवन सिन्हा ने मुख्य अतिथि पद से सम्बोधन में कहा कि हम भारत माता की की पावन धरती को नमन करते हैं। जिसने हमारी भारत माता के छाती को छलनी किया, ये उस तुगलक की धरती नही है। हमने अपनी धर्म, संस्कृति औऱ इतिहास को उपेक्षित किया जिसके परिणाम स्वरूप कुछ मुट्ठी भर लोग हम पर अपना आधिपत्य समझने लगे। अगर आज भी हमने अपनी संस्कृति और इतिहास को नही समझा तो आने वाले समय मे फिर हमारा वही हश्र होगा। भारत का कभी अस्त कभी नही हुआ और ना कभी होगा। हमें मानसिक गुलामी से निकलने की जरूरत है,जिसके लिए हम सबको तैयार रहना होगा।
     उन्होंने कहा कि आज 16 दिसम्बर का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन भारत ने मात्र 13 दिन के अंदर पाकिस्तान पर विजय हासिल कर उसके 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया था।
      डा. सिन्हा ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप इस देश के कर्णधार हैं और हम सभी को समझना होगा कि आने वाले समय में इन्ही युवाओं के कंधों पर इस देश का दायित्व होगा। हम सबको इंजन बनना पड़ेगा, हमें राष्ट्र चिन्तन करना पड़ेगा। तब हम इस देश के सच्चे सेवक बन सकेंगे। बाबा साहब को अच्छे से पढ़ने की जरूरत है बाबा साहब खुद चाहते थे कि जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाय। सोचने की जरूरत है हिंदुस्तान में अंग्रेजो की कुल संख्या 80 हजार से लेकर 1 लाख तक थी फिर भी हमारे ऊपर राज किया क्योंकि हम हिंदुस्तानी जात-पात में बंटे हुए थे। और उसका फायदा अंग्रेजो ने उठाया। हमें धर्म की रक्षा के लिए जात पात से उपर उठना होगा। इस मौके पर मुख्य वक्ता “हिन्दू इकोसिस्टम” के अध्यक्ष कपिल मिश्रा ने स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो हमारी संस्कृति, धर्म आस्था, और विश्वास का सम्मान करेगा और समाज को जागृत करेगा उसे स्वाधीनता कहते हैं। जिसके लिए चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, खुदीराम बोस आदि अनेकों देश भक्तों ने अपना बलिदान दिया था। हमने हमेशा संघर्ष किया। मुगलों ने इस देश पर एक घण्टे के लिए भी देश को गुलाम नहीं किया। उसकी हुकूमत आगरा तक 200 किलोमीटर तक ही थी जो छल कपट औऱ झूठ के बल पर थी। जबकि जो इतिहास हमें गुलामी की पढ़ाया गया, लुटेरे, जेब कतरों को महान बताने का कार्य किया गया वो पूर्णतः गलत है।हमारे अंदर स्वाभिमान होना चाहिए। ये भारत ही है जो पूरे विश्व मे अपनी संस्कृति औऱ स्वाभिमान को बनाये रखा है। हमें समझने की जरूरत है कि आज से 100 साल पहले जो साजिश रची गयी थी आज फिर से वही कुचक्र रचने का काम किया जा रहा है। वीर सावरकर, मदन मोहन मालवीय, के लिखे किताबो को बंद करने का काम किया गया था। आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त को लाखों हिंदुओ की हत्या की गई। विभाजन की विभीषिका को याद करके फिर कभी दुबारा भारत का विभाजन न हो, ये है आजादी का अमृत महोत्सव। जिस दिन भारत में हिन्दू सुरक्षित नहीं रहा यहाँ कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगा। धर्म के प्रति आस्था होना सबसे जरूरी है। हिन्दू एकता ही भारत का केवल एकमात्र मंत्र है। भारत का पुनः विभाजन नही होने देंगे। अब किसी आंतकवादी का आक्रमणकारी को घुसने नहीं देंगे और अपने धर्म औऱ संस्कृति की रक्षा करेंगे।     यही वास्तव में स्वततन्त्रता का असली अमृत महोत्सव है। इस मौके पर गाजीपुर का नाम बदलकर गाधीपुरी करने की बात भी कही गयी। अंत मे कृष्ण सुदामा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट के प्रबंधक एवं भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ विजय यादव ने आये सभी अतिथियों को अंगवस्त्र औऱ स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। साथ ही आये हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इसके उपरांत संजना सोनकर, स्नेहा यादव, खुशी कुमारी, प्रियांशी शर्मा, नीति सोनकर आदि बच्चियो ने बन्दे मातरम गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिद्धपीठ पलिवार के पिठाधिपति स्वामी परमानन्द पुरी जी महाराज एवं संचालन डॉ सन्तोष मिश्रा ने किया। इस मौके पर पारसनाथ राय, डा. नागेन्द्र सिंह, फैलू यादव, आनन्द मिश्रा, कमलेश जी, राजीव, रविन्द्र श्रीवास्तव, भानु प्रताप सिंह, सत्येन्द्र सिंह, रत्नेश त्यागी, अंकित जायसवाल, विधायक सुभाष पासी, दयाशंकर पाण्डेय, मीरा श्रीवास्तव, नित्यानंद पाण्डेय, रमन, अंजुमन आदि लोग मौजूद रहे।

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